चुनाव आयोग (ईसी) ने सोमवार को लोक गायिका मैथिली ठाकुर को बिहार का ‘स्टेट आइकन’ नियुक्त किया. गायिका के पिता रमेश ठाकुर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम चुनाव आयोग और बिहार सरकार के आभारी हैं। मैथिली ठाकुर ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए भी साझा की और लिखा कि आप सभी शुभकामनाएं दीजिए कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में मैं अपनी भूमिका तरीके से निर्वहन कर सकूं।
निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। मैथिली ठाकुर को आइकन बनाने का प्रस्ताव राज्य निर्वाचन कार्यालय ने दिया था। मैथिली ठाकुर 2024 लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच जागरूकता अभियान चलाएंगी। बता दें कि इससे पहले साल 2019 में मैथिली और उनके दो भाइयों को चुनाव आयोग द्वारा मधुबनी का “ब्रांड एंबेसडर” बनाया गया था।
मूलरूप से बिहार के मधुबनी जिले से ताल्लुक रखने वाली मैथिली बचपन से ही लोक गीत गाती हैं। उन्होंने अपने दादा से संगीत की प्रारभिक शिक्षा ली है। उनके दादा गांव में ही भजन- कीर्तन किया करते थे। मैथिली ठाकुर ने सारेगामा, राइजिंग स्टार समेत कई रियलिटी शो में भी हिस्सा लिया है। 2017 में राइजिंग स्टार में भाग लेने के बाद मैथिली घर-घर में लोकप्रिय हो गई। वह शो की पहली फाइनलिस्ट थी। हालांकि, वह दो वोटों से इस शो का खिताब पाने से चूक गई थी।
लेकिन अपने में मेहनत और लगन से उन्होंने बिहार के स्टेट आइकन के रूप में एक बेहतर पहचान हासिल किया है। साथ ही आपको बता दे की यह पहचान उन्हें (मैथिली ठाकुर को) बिहार के लोक संगीत को महाद्वीपों में फैलाने और चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन देगी।”
मैथिली ठाकुर ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए भी साझा की है। उन्होंने लिखा कि मुझे Election Commission Of India की ओर से बिहार राज्य का नया आइकन बनाया गया। मेरे लिए ये अत्यंत हर्ष का विषय है। आप सभी शुभकामनाएं दीजिए कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में मैं अपनी भूमिका सही तरीके से निर्वहन करसकूं। बिहार के मधुबनी जिले में जन्मी मैथिली ठाकुर अपने दो भाइयों के साथ लोक, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और तबला में अपने दादा और पिता द्वारा प्रशिक्षित की गयी हैं. उन्होंने मैथिली, भोजपुरी और हिंदी में बिहार के पारंपरिक लोकगीतों का गायन किया है।