गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर को तोड़े जाने की प्रक्रिया में कई ऐसे चरण आने वाले हैं जो अपने आप में अनोखे होंगे। राज्य और देश की बात तो दूर पूरे विश्व में यह पहला मौका है जब इतने बड़े पुल के संपूर्ण सुपर स्ट्रक्चर को काटकर निकाला जा रहा है।
अप और डाउन स्ट्रीम मिलाकर गांधी सेतु में कुल 91 स्पैन हैं। पुल की लंबाई एक तरफ से 5455 मीटर और दूसरे तरफ से 5575 मीटर है। नवंबर से यह प्रक्रिया और भी अनोखी हो जाएगी। स्टीमर से सुपर स्ट्रक्चर को काटकर हटाने की प्रक्रिया आरंभ होगी।
कोई टुकड़ा नहीं गिरेगा गंगा में : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय के क्षेत्रीय अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि बड़े स्टीमर में पुल के सुपर स्ट्रक्चर को काटे जाने को लेकर यह शर्त है कि कोई भी टुकड़ा गंगा में नहीं गिरेगा।
स्टीमर के साथ ही एक नेट भी लगा रहेगा जिससे कोई टुकड़ा इधर-उधर नहीं होगा। जिस स्टीमर से सुपर स्ट्रक्चर को नदी के भीतर जाकर काटा जाना है उसके साथ एक अन्य स्टीमर भी होगा जिस पर सुपर स्ट्रक्चर का टुकड़ा गिरेगा।
धूल न उड़े इसके लिए कटर के साथ पानी का फव्वारा भी : गांधी सेतु के सुपर स्ट्रक्चर को तोड़े जाने के क्रम में पर्यावरण नियमों के बारे में कई हिदायतें हैं। सुपर स्ट्रक्चर तोड़ने के दौरान धूल न उड़े इसके लिए कटर मशीन के साथ पानी के फव्वारे की भी व्यवस्था है। यह सुपर स्ट्रक्चर तोड़ेने के दौरान काम करता रहता है।
कैंप में ही एग्रीगेट्स को अलग किया जा रहा : गांधी सेतु के मलबे को निर्माण कंपनी के कैंप कार्यालय के एक हिस्से में रखा जा रहा है। इसके एग्रीगेट्स को अलग किए जाने की व्यवस्था की गयी है। एग्रीगेट्स का इस्तेमाल अलग से किसी अन्य निर्माण कार्य में किया जाएगा।