देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती का विवाह दिवस यानी महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी मंगलवार एक मार्च को ग्रह-गोचरों के शुभ-संयोग में मनेगा। महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु भगवान भोले और मां पार्वती की शिव योग के युग्म संयोग एवं धनिष्ठा नक्षत्र में पूजा-अर्चना कर आशीष प्राप्त करेंगे। श्रद्धालु महाशिव रात्रि के दिन अपने घरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के साथ महामृत्युंजय महामंत्र का जाप करेंगे। वहीं शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा अर्चना होगी। महाशिव रात्रि का व्रत करने से सौभाग्य, समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं पर भगवान शिव व मां पार्वती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।
पंचांग के अनुसार पंडित राकेश झा ने बताया कि शिव योग और धनिष्ठा नक्षत्र में शिव की पूजा करना शुभ व फलदायी है। महाशिव रात्रि पर मकर राशि के बारहवें भाव में पंचग्रही महायोग बन रहा है। पंच ग्रही योग का निर्माण मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और शनि के मिलने से हुआ है। सूर्य पुराण के अनुसार भगवान शिव शिवरात्रि के दिन पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने निकलते हैं। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजन करने से शिव भक्तों को सैकड़ों यज्ञ का पुण्य मिलता है।
महाशिव रात्रि के मौके पर पूरे दिन भगवान शिव के जयकारे लगेंगे। वहीं शाम में शिव-पार्वती का विवाहोत्सव मनाया जाएगा। वहीं शहर में 22 जगहों से भगवान शिव पार्वती की शोभा-यात्र निकलेगी। जिसमें भूत-पिशाच, गण, गंधर्व आदि का वेष धारण कर भक्त झांकी निकालेंगे। वहीं शहर में 22 स्थानों से महाशिव रात्रि पर शोभा-यात्रा निकेलगी। इन सभी शोभा-यात्रा का अभिनंदन शिव रात्रि के दिन बेली रोड स्थित खाजपुरा शिव मंदिर के पास किया जाएगा।
पूजन मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 2:07 बजे से दोपहर 2:53 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 5:48 बजे से 6:12 बजे तक