महंगे ईंधन से और भड़की महंगाई, ऐसे पड़ता है आपकी जेब पर असर

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देश में महंगाई एक बार फिर बढ़ गई है। अप्रैल में खुदरा महंगाई दर आठ फीसदी के करीब पहुंच गई है जो पिछले साल के इसी माह से करीब दोगुना है। पिछले साल अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.23 फीसदी पर थी। सरकार की ओर से गुरुवार को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई के आंकड़ों में शहरों के मुकाबले ग्रामीण महंगाई में अच्छा खासा इजाफा देखने को मिला है। अप्रैल में शहरी महंगाई जहां 7.09 फीसदी है तो ग्रामीण महंगाई 8.38 फीसदी पर पहुंच गई है।

अप्रैल में महंगाई के आकंड़ों में आई बढ़त में बड़ा योगदान खाने पीने की चीजों का रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक यूक्रेन संकट और समय से पहले तेज गर्मी शुरू हो की वजह से चीजें ज्यादा महंगी हुई है। आर्थिक विशेषज्ञ प्रणब सेन ने हिन्दुस्तान से बातचीत में बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने भी महंगाई पर लगाम लगाने के कदमों की शुरुआत करने में काफी देर कर दी है। उन्होंने कहा कि जो ब्याज दरों में बढ़त महंगाई बढ़ने की आशंका को देखते हुए आरबीआई गवर्नर ने मई के शुरुआती दिनों में की है उसे दो महीने पहले कर देना चाहिए था। अगर ऐसा होता तो महंगाई के प्रबंधन में देश पहले से बेहतर स्थिति में होता।

अभी और सताएगी महंगाई

आर्थिक विशेषज्ञ प्रणब सेन का कहना है कि रूस यूक्रेन युद्ध को देखते हुए जिस पैमाने पर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ रहे हैं उनका महंगाई पर व्यापक प्रभाव देखा जा रहा है। साथ ही जिस हिसाब से गर्मी समय से पहले आई है उसकी वजह से फल और सब्जियों की फसल पर असर देखने को मिल रहा है और यहां महंगाई बढ़ी है। उनके मुताबिक महंगाई में तेजी की यह महज शुरुआत है। आने वाले दिनों में इसमें और भी इजाफा देखने को मिल सकता है।

ईंधन से महंगाई पर ऐसे होता है असर

विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्यत: पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में 10 फीसदी की वृद्धि होती है तो खुदरा महंगाई करीब 0.8 फीसदी तक बढ़ जाती है। पेट्रोल-डीजल महंगा होने से परिवहन की लागत बढ़ती है जिससे माल ढुलाई महंगी हो जाती है। भारत में किसी उत्पाद की लागत में करीब 14 फीसदी हिस्सा परिवहन का होता है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल महंगा होने से खाद्य पदार्थों से लेकर सभी तरह के उत्पादों के दाम बढ़ जाते हैं।

आपकी जेब पर जेब पर चौतरफा असर

महंगाई बढ़ने से उपभोक्ताओं को कई तरह से नुकसान होता है। खाने-पीने की वस्तुओं का अधिक दाम चुकाने के साथ कहीं आने-जाने के लिए भी किराये के रूप में ज्यादा राशि चुकानी पड़ती है। इसके अलावा आपकी बचत पर भी असर होता है। ऊंची महंगाई से खर्च बढ़ जाता है जिसकी वजह से आप कम बचत कर पाते हैं। रिजर्व बैंक ने इस माह की शुरुआत में अचानक रेपो दरों में 0.40 फीसदी का इजाफा कर दिया। इससे सभी बैंकों को अपने कर्ज पर ब्याज बढ़ाना पड़ा। इसकी वजह से सभी तरह के कर्ज महंगे हो गए।

आरबीआई और बढ़ा सकता है दरें

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले कहा गया है कि मुद्रास्फीति के उम्मीद से अधिक होने से मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। इसमें कहा गया है कि मौद्रिक नीति के और सख्त होने की संभावना है। इसमें अनुमान जताया गया है कि चालू वित्त वर्ष की चार तिमाहियों में आरबीआई रेपो दर बढ़ाकर 5.4 कर सकता है। साथ ही विश्लेषकों का मानना ​​है कि दिसंबर 2023 तक यह दर 5.75% तक बढ़ सकती है जो पहले के अनुमान से 0.50 फीसदी अधिक है।

 

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