मधुबनी पेंटिंग को दुनिया के सामने लाने में साल 1934 में बिहार में आए भयंकर भूकंप का बहुत बड़ा योगदान है. भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान मिथिलांचल के इलाकों को ही हुआ था. अंग्रेज अफसरों की टीम मधुबनी पहुंची तो वहां दीवारों पर की गई मधुबनी पेंटिंग को देखकर हैरान रह गई थी.
भूकंप से हुए नुकसान के आकलन के साथ-साथ टीम ने मधुबनी पेंटिंग से जुड़ी जानकारियों को भी जमा किया था. साल 1949 में विलियम आर्चर का मधुबनी पेंटिंग पर लिखा लेख इंडियन आर्ट जरनल में छपा. उसके बाद यह कला दुनिया के सामने आई थी.