मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने उद्योग विभाग को निर्देश दिया है कि हस्तशिल्पी मॉरिशस में कार्यक्रम स्थल पर ही कला निर्माण कर प्रदर्शनी लगाएं और उसकी बिक्री भी करें. पद्मश्री बउआ देवी समेत बिहार के कलाकारों का 24 सदस्यों का दल 4 से 7 जुलाई तक मॉरिशस की यात्रा करेंगे।
पद्मश्री से सम्मानित बौआ देवी बिहार के मधुबनी जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर के रहिका प्रखंड के नजीरपुर पंचायत के जीतावरपुर गांव की रहने वाली हैं. जीतावरपुर गांव मधुबनी पेंटिंग का गढ़ माना जाता है. इस गांव की 3 मधुबनी पेंटिंग की कलाकारों को पद्मश्री सम्मान मिल चुका है.
बौआ से पहले सीता देवी और जगदंबो देवी को भी पद्मश्री मिल चुका है. 800 परिवार वाले इस गांव में करीब 150 लोग मधुबनी पेंटिंग कर रहे हैं. मधुबनी पेंटिंग को मिथिला पेंटिंग भी कहा जाता है.
73 साल की बौआ बताती हैं कि वह जब 13 साल की थीं, तभी से मधुबनी पेंटिंग कर रही हैं. पिछले 60 सालों से लगातार मधुबनी पेंटिंग कर रही बौआ जब हाथ में कूची थामती हैं तो वह जादू की तरह कागज और कपड़ों पर चलने लगती है. वह बताती हैं कि पहली बार उनकी 3 पेंटिंग 14 रूपए में बिकी थी.
आज उनकी एक पेंटिंग के लाखों रूपए मिल रहे हैं. बिहार के मिथिलांचल इलाकों के औरतों द्वारा शुरू की गई घरेलू और अनगढ़ चित्राकारी को इंटरनेशनल आर्ट मार्केट में खासी जगह मिल चुकी है.