कोरोना के दुष्प्रभाव के रूप में प्रदेश में मल्टीपल सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) यानी एक साथ कई अंगों की कार्यप्रणाली प्रभावित होने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। कुछ अपवाद छोड़ दें तो अस्पताल पहुंचने वाले अधिकतर बच्चों की संख्या तीन से 10 वर्ष के बीच है। अब तक एम्स पटना में ही पोस्ट कोरोना दुष्प्रभाव के कारण एमआइएस-सी से पीडि़त करीब 70 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। इसके अलावा जन्म के साथ एमआइएस-सी से पीडि़त एक दुर्लभ मामले समेत तीन बच्चे महावीर वात्सल्य में भर्ती हो चुके हैं। इसी प्रकार अन्य बड़े अस्पतालों में भी एमएसआइ-सी पीडि़त कुछ बच्चे भर्ती हुए हैं।
दो वर्षों में सामने आए ऐसे 70 बच्चे
एम्स पटना में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डा. लोकेश तिवारी ने बताया कि गत दो वर्ष से कोरोना के कारण एमएसआइ-सी से पीड़ित करीब 70 बच्चे भर्ती किए गए हैं। इन सभी उम्र तीन से 10 वर्ष के बीच थी। सामान्यत: 11 या उससे अधिक उम्र के बच्चे अभी तक भर्ती नहीं कराए गए हैं। सामान्यत: इससे पीडि़त सभी बच्चों में वेंटिलेटर चार से पांच दिन में हटा दिया जाता है।
माता-पिता से संक्रमित हुई बच्ची
हाल में एक अनोखा मामला आया था, जिसमें तीन वर्षीय बच्ची 41 दिन तक वेंटिलेंटर पर रही। इस बच्ची के फेफड़े 75 प्रतिशत तक क्षतिग्रस्त हो चुके थे। माता-पिता को कोरोना होने के बाद वह संक्रमित हुई थी और कोरोना होने के बाद से सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर आई थी। इस रोग में एक से अधिक अंग फेल होने की आशंका को देखते हुए हाई लेवल वेंटिलेटर सपोर्ट पर 34 दिन तक रखा गया। इसके बाद सात दिन तक नन इनवेसिव वेंटिलेटर पर रखा। 41वें दिन बच्ची होश में आई और वेंटिलेटर हटाते ही वह खेलने लगी। उसके सभी अंग बिल्कुल सही पाए गए हैं। महावीर अस्पताल से नवजात को भी डिस्चार्ज किया जा चुका है।