लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार के लिए केवल पर्व तक ही सीमित नहीं है, बल्कि परंपरा का वह अध्याय है जिसके प्रत्येक पन्ने में बिहारीपने की सुगंध लिपटी है। बिहारवासी दुनिया के चाहे किसी कोने में हों, छठ के समय इस सुगंध का अनुभव करते हैं और सात समंदर पार से छठ मनाने के लिए अपनी जन्मभूमि पर खींचे चले आते हैं।
छठ में घर आने से खुद को रोक नहीं सकीं चंदा झा
कुछ ऐसी ही कहानी है लंदन में रेडियो जाकी में कार्यरत चंदा झा की। एक दशक पूर्व वह लंदन गई थीं और वहां जाकर अच्छा मुकाम हासिल किया। लेकिन छठ के समय स्वयं को रोक नहीं पाई। सिकटा प्रखण्ड स्थित अपने गांव बेहरी बनकटवा आईं हैं। यहां पोखर के तट पर छठ मनाता रहा है। बता दें कि चंदा झा लंदन में रेडियो जॉकी का काम करती है, और वहां के बिहारियों के बीच काफी चर्चित हैं।
रेडियो के माध्यम से लंदन में भोजपुरी और मैथिली गानों का प्रसारण करती हैं
मिथिला कल्चरल सोसायटी जो लंदन में बिहारी समुदाय के लोगों को जोड़े रखने का काम करती है। उस संस्था की सक्रिय सदस्य हैं। रेडियो के माध्यम से लंदन में भोजपुरी और मैथिली गानों का प्रसारण करती हैं। उन्होंने बताया कि छठ मनाने को लेकर वे काफी उत्साहित रहती है।
चंदा झा लंदन में छठ करती है, लेकिन इसबार अपनी जन्म धरती पर छठ कर रही हैं। लंदन में बिहारियों का सक्रिय संगठन है और प्रत्येक धार्मिक त्योहार पर लोग इकट्ठा होते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। हर काम में लोग एक दूसरे का सहयोग करते हैं। छठ माता के प्रसाद के लिए चूल्हा बनाने से लेकर छठ घाट तक दौरा ले जाने का काम, इन सब चीजों का अनुभव बिहार आकर ही होता है, और अपने बच्चों को इन सब चीजों से रूबरू कराना आवश्यक है, ऐसा सोचकर वे इस बार बिहार आई हैं।