देश में कोरोना ने भले ही दस्तक दे दी है, लेकिन व्यवस्था को अभी भी बूस्टर डोज की दरकार है। वैक्सीन का पता नहीं है। सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण बंद है। निजी अस्पतालों में तो एक वर्ष से टीकाकरण बंद है। बच्चों के अभिभावक चिंतित हैं कि वे वैक्सीन कहां लगवाएं। बुजुर्गों को भी बूस्टर डोज नहीं लग पा रही है। जांच भी बंद है। ऐसे में कोरोना से बचाव की तैयारी का अंदाजा लगाया जा सकता है।\
दरअसल, कोरोना के मामले जैसे ही कम हुए तो सरकारी तंत्र ने मान लिया कि अब इसका खात्मा हो चुका है, जबकि ऐसा नहीं है। कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ और अब इसके नए वैरिएंट ने चीन और लेटिन अमेरिका, जापान समेत अन्य देशों में तबाही मचाना शुरू कर दिया है। देश में नए वैरिएंट बीएफ.7 की चार लोगों में पहचान भी हो चुकी है। हालांकि, वे ठीक हो चुके हैं, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। इसको देखते हुए सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जा रहे हैं। लेकिन न तो सरकारी स्तर पर तैयारी की जा रही है और न ही आम लोग ही इसे गंभीरता से ले रहे हैं। जिले में कुछ माह पहले ही कोरोना की जांच बंद कर दी गई थी। इतना ही नहीं, चार दिन पहले ही जिले में टीकाकरण बंद किया जा चुका है।
मेडिकल कालेज अस्पताल में फिर शुरू होगी तैयारी
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कोरोना को देखते हुए सदर अस्पताल स्थित कोविड वार्ड को चालू करने के लिए साफ-सफाई की जा रही है। इसमें 74 बेड हैं। वहीं, अधीक्षक ने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल में आक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया है। सदर अस्पताल प्रभारी डा. राजू ने कहा कि एक हजार एलपीएम का आक्सीजन प्लांट है। आक्सीजन की आपूर्ति भी ठीक है। कोविड वार्ड के 50 बेडों को आक्सीजन पाइप लाइन से जोड़ दिया गया है। अस्पताल के चिकित्सक से लेकर कर्मचारियों को मास्क पहनने की हिदायत दी गई है