जिले की शाही लीची का स्वाद दुनियाभर में फेमस है. शाही लीची का सीजन जाने के बाद अब लोगों के लिए लीची का स्वाद लेना नामुमकिन सा हो गया था. ऐसे में लीची जैसी मिठास वाले फल लोंगन फल लोगों के बीच अपनी जगह बना रहा है.
यूं तो लोंगन देश के महानगरों और विदेशी बाजारों में बहुत पहले से प्रसिद्ध है, लेकिन अब यह फल मुजफ्फरपुर के बाजार में अपनी पैठ बना रहा है. मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में बड़े पैमाने पर लोंगन के पेड़ लगाए थे, जिसमें अब फल आने लगे हैं.
गांव में इसे कहते हैं कठ लीची
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने बताया कि लोंगन कोई नया फल नहीं है. बिहार में इसके पेड़ और उपज पुराना है. मुजफ्फरपुर स्थित लीची अनुसंधान केंद्र में कई वर्षों से लोंगन फल पर काम किया जा रहा है. ऐसे में इस वर्ष केंद्र के फार्म में बड़े पैमाने पर लोंगन की उपज हुई है. जिसे लीची अनुसंधान केंद्र टेंडर के माध्यम से बेच रहा है.
लोंगन लीची से भी मीठा
विकास दास कहते हैं कि फल के वजन के साथ इसका गूदा बेहद मीठा होता है. इसमें लीची जैसी खुशबू तो नहीं होती है, लेकिन मिठास लीची से भी ज्यादा होती है. विकास दास कहते हैं कि बड़े शहरों के मॉल में इस फल की अच्छी कीमत मिलती है. मुजफ्फरपुर की जलवायु और मिट्टी इस फल के लिए उपयुक्त है. लोंगन को गांव की भाषा में कठ लीची भी कहते हैं.