लालू यादव के वो 5 पॉपुलर किस्से, जिसे जानने के बाद आपकी हंसी नहीं रुकेगी

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उम्र और बीमारी जो न करा दे। कभी हंसी-ठिठोली, दिलेरी और साफगोई के लिए मशहूर लालू प्रसाद यादव अब अपनी उम्र के ढलान पर हैं। वे पहले जैसे न हड़का पाते हैं और न लोगों को हंसा पाते हैं। किंगमेकर से लेकर सियासत की धारा बदल देने वाले लालू बीमारी और बढ़ती उम्र के साथ लाचार जरूर हैं, पर ख्वाहिशें अब भी उनमें हिलोरें मारती हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली से सिंगापुर की भाग-दौड़ के बाद लालू को जब फुर्सत मिली तो वे पटना पहुंच गए। तीन दिन भी सुकून के नहीं बीते कि उन्होंने अपने यहां दावत रख दी। पार्टी के बड़े नेताओं का जमावड़ा लगा। मछली-भात से लेकर मुर्गा-भात और फलाहार से लेकर सत्तू-अचार तक उनके मेन्यू में शामिल था। डाक्टरों की लाख मनाही के बावजूद लालू ने खुद भी सीमित मात्रा में मछली का जायका लिया। लालू के बारे में सबकी राय यही थी कि आवाज धीमी पड़ गई है, शरीर कमजोर हो गया है, लेकिन लालू का मिजाज अब भी फरहर है। वे उसी अंदाज में अब भी पेश आते हैं, जैसे पहले आते थे। लालू को लेकर हम याद करते हैं उनके पुराने पांच किस्से, जिसे सुन कर उनकी बेबाकी की दाद दिये बिना शायद ही कोई रुके।

किस्सा नंबर 1- मेरा मन भी प्रधानमंत्री बनने का है

22 जुलाई 2008। लालू यादव तब यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। वे लोकसभा में किसी मुद्दे पर बोलने के लिए खड़े हुए। उन्होंने बड़े बेबाक ढंग से कहा- किसे प्रधानमंत्री बनने का मन नहीं करता है। मेरा भी मन करता है। मायावती जी का भी मन करता है। दलित, पिछड़े या माइनारिटी को कोई प्रधानमंत्री बनने देता है। मन तो मेरा भी करता है, लेकिन मुझे कोई हड़बड़ी नहीं है। बिना मेल का बियाह कनपट्टी ले सेनुर लगाने से कोई प्रधानमंत्री नहीं बन जाता। अभिजात्य वर्ग का जो वर्चस्व देश में है, उसमें कोई दलित, पिछड़ा या माइनारिटी का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है ? कौन मुलायम, लालू, मायावती या माइनारिटी के किसी आदमी को प्रधानमंत्री बनने देता है ?

किस्सा नंबर 2- फर्नांडीस पर जब लालू ने चुटकी ली

लालू जब रेल मंत्री थे, तब जार्ज फर्नांडीस एनडीए के साथ थे। एनडीए विपक्ष में था। लालू ने अपने भाषण के क्रम में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुए पोखरण परमाणु विस्फोट का सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जार्ज साहब पता नहीं, आज क्यों वहां बैठे हैं। उन्होंने हमें समाजवाद का पाठ पढ़ाया। गुरुदास दासगुप्ता के बारे में कहा- हमने टीवी पर गुप्ता जी का भाषण सुना। कह रहे थे कि हमे रोटी चाहिए। लगता है कि बेचारे अब तक भूखे हैं। रोटी कहां से आएगा। रोटी आसमान से नहीं आएगा। रोटी इन्फ्रास्ट्रक्चर से आएगा। गुप्ता जी, रोटी इंकलाब जिंदाबाद से नहीं आएगा। रोटी आएगा इन्फ्रास्ट्रक्चर से। एड़ी अलगा के भाषण करने से रोटी नहीं आएगा। जब भी इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात आती हैकहीं बहुगुणा जी अनशन करते हैं, कहीं मेधा पाटकर खड़ी हो जाती हैं। एनजीओ आ जाते हैं। पुतवो मीठ, भतरो मीठ। यही हाल है भाजपा का। आडवाणी जी हिन्दुओं की बात करते हैं। आप में से कितने लोग पिंडदान करने गया गये हैं ? अफजल गुरु के गुरु अजहर मसूद को किसने छोड़ा ? टेररिस्ट तो वह भी है, जिसने आस्था के प्रतीक बाबरी मस्जिद का विध्वंस किया।

किस्सा नंबर 3- बीजेपी के खिलाफ हर दल साथ आएगा

तकरीबन छह महीने पहले लालू प्रसाद यादव का एक बयान आया। उससे उनकी दूरगामी सोच का पता चलता है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ आवाज उठाना सिर्फ कांग्रेस का काम नहीं है। यह हर विपक्षी दल का काम है। उसके ठीक बाद लालू ने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और वह अगुआई करे तो सभी विपक्षी दल साथ आने को तैयार हैं। चेतावनी भी दी, अगर इस समय साथ नहीं आए तो देश माफ नहीं करेगा। सरकार को हम मूली की तरह उखाड़ फेंकेंगे। हर बात में मुस्लिम-मुस्लिम, हिन्दू-हिन्दू कर रहे हैं। सब लोग महंगाई से परेशान हैं। कांग्रेस के साथ मिल कर बीजेपी को हराना है। लालू ने यह बात तब कही थी, जब माना जा रहा था कि कांग्रेस के साथ कई दल साथ आने को तैयार नहीं होंगे। आज तो साफ दिख रहा है कि कांग्रेस की पहल पर ही सभी दलों को नीतीश कुमार जोड़ने में लगे हैं। उन्हें इसका सकारात्मक परिणाम भी मिलता दिख रहा है।

किस्सा नंबर 4- शराबंदी फेल है, वापस ले लाना चाहिए

लालू ने कहा कि मैंने पहले ही शराबबंदी खत्म करने को कहा था। शराबबंदी पूरी तरह फेल है। लालू ने यह बयान तब दिया था, जब आरजेडी विपक्ष में था। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा था कि शराब पीने वाले के लिए पार्टी में जगह नहीं है। लालू ने बड़ी बेबाकी से कहा- हमने पहले ही कहा था कि शराबबंदी खत्म करो। सरकार इसके लिए सक्षम है। शराबबंदी फेल हो गया है। लालू के इस बयान को लेकर जेडीयू और आरजेडी के प्रवक्ता कब आपस में भिड़ गए थे।

किस्सा नंबर 5- जब रात में लाठी लेकर निकले लालू

लालू की जीवनी- गोपालगंज से रायसीना तक में एक प्रसंग आता है। लालू तब बिहार के सीएम थे। उन्हें पता था कि ईंट भट्ठे पर काम करने वाली औरतों के साथ गलत होता है। एक रात पुलिस बल के साथ लालू बिहटा-मनेर रोड पर स्थित ईंट भट्ठे पर पहुंच गए। भट्ठे से कुछ दूर वाहनों का काफिला रोक दिया गया। हाथ में लाठी लिए लालू जब भट्ठे की ओर बढ़े तो उन्होंने देखा कि एक औरत गले में फूलों की माला पहने हुए है। उसके साथ कुछ लोग जबरदस्ती कर रहे हैं। उसे खींच कर एक झोपड़ी में वे ले जाना चाह रहे हैं। लालू को देखते ही सभी सकपका गए। सभी शराब के नशे में धुत थे। लालू ने तुरंत पुलिस वालों को बुलाया। सभी को गिरफ्तार कर ले जाया गया। महिला को लेकर लालू अपने आवास आए और कलक्टर से कह कर उसे नौकरी दिला दी।

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