बिहार के गाँव- गाँव में प्रतिभा छिपी हुई है। ऐसी ही एक प्रतिभा जिसे आज आप भए ही भूल गए हो, लेकिन उसने बिहार का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। हम बात कर रहे हैं ललिता की। कभी 160 देशों की लड़कियों को पछाड़ कर बिहार की बेटी कराटा चैंपियन बनी थी। यूनिसेफ ने अपनी पत्रिका में पहले पन्ने पर जगह दी थी। आज यह गुमनामी के अंधेरे में जी रही है।
दिल्ली में 160 देशों की लड़कियों को पछाड़ कराटे चैंपियन बन यूनिसेफ की पत्रिका के पहले पन्ने पर जगह बनाने वाली ललिता इन दिनों गुमनामी का जीवन जी रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय सफलता पर पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व बाद में नीतीश कुमार से सम्मानित ललिता फिलहाल सोनबरसा के खाप मध्य विद्यालय में आर्टस शिक्षक की भूमिका निभा रही हैं।
शिक्षिका की नौकरी करते हुए ललिता देश की लड़कियों को कराटे का प्रशिक्षण देना चाहती हैं। कहती हैं कि 12 हजार की नौकरी में घर नहीं चलता। सरकार ने सोनबरसा में तीन डिसमिल जमीन देने की घोषणा की थी।
ब्लॉक ऑफिस का चक्कर लगाने के बाद थक-हारकर छोड़ दिया। उनका कहना है कि सरकार अगर मौका दे तो वे महादलित लड़कियों को कराटे सिखाकर चैंपियन बनाना चाहती हैं।