कुछ साल पहले यह बात फैल गई थी कि देसी घी नहीं खाना चाहिए। इससे दिल की बीमारी बढ़ती है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज बढ़ती है और हार्ट अटैक हो जाता है। यह बात बात में बिल्कुल गलत पाई गई। इसके लिए लॉन्ग टर्म स्टडीज की जरूरत होती है। बाद में शॉर्ट टर्म स्टडीज में यह साबित हुआ कि जब देसी घी खाना छोड़ देते हैं और जीरो ऑइल कुकिंग करते हैं तो डेथ रेट बढ़ जाता है और बहुत ज्यादा बीमारियां होती हैं। यह बात बताई कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरती दवे लाल चंदानी ने। उनका कहना है कि घी जरूर खाइए। डॉक्टर आरती ने घी के फायदे भी बताए और इसे ना खाने के नुकसान भी। यहां जानें डिटेल…
तेल या डालडे में होते हैं टॉक्सिन्स
डॉक्टर आरती लाल चंदानी का कहना है कि कोई भी चीज अगर ज्यादा मात्रा में खाई जाती है तो वह नुकसान करने लगती है। जैसे फायदा करने वाले फल भी ज्यादा खाएं तो शुगर बढ़ाते हैं। ड्राई फ्रूट्स और नट्स भी सीमित मात्रा में खाने चाहिए। सब्जियां और दही ऐसी चीजें हैं जिन्हें आप फ्री होकर ज्यादा भी खाएं तो नुकसान नहीं करता। घी भी सामान्य परिस्थिति में लोग दिन में 2 से चार चम्मच तक खा सकते हैं। घी 37 डिग्री पर लिक्विड हो जाता है। इसका मतलब है शरीर के तापमान पर यह लिक्विड रहता है, यानी ये सैचुरेटेड फैट नहीं हुआ। इससे आप तड़का लगाएं या दाल में डालें तो यह जमता नहीं है मतलब यह ट्रांस फैट नहीं बनता। तेल और डालडे में टॉक्सिन्स बनते हैं। घी से ऐसा नहीं होता।
देसी घी के फायदे
लिनोलिनिक और ब्यूटाइरिक एसिड होता है जो आपके पाचन को सही रखता है। लिनोलिनिक एसिड हार्ट के लिए फायदा करता है। इसमें विटामिन ए, डी, ई और के होते हैं। ये आपका इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं। पूरी बॉडी के लिए फायदेमंद है। घी जैसे फैट ब्रेन, लिवर और हार्ट फंक्शन के लिए अच्छे होते हैं। आंखों की रोशनी तेज होती है, हड्डियां मजबूत होती हैं, डाइजेस्टिव सिस्टम अच्छा होता है। ब्लड क्लॉटिंग सिस्टम सही रहता है क्योंकि इसमें विटामिन के बैलेंस में होता है। आर्टरीज में ब्लड फ्लो सही रहता है। हवा के बैक्टीरिया और वायरस से बचने में घी मदद करता है। बाल और स्किन सॉफ्ट होती है। हार्ट में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। किसी भी ऐक्टिविटी के लिए स्टैमिना मिलता है। घी का जिक्र आयुर्वेद में भी है। जो लोग घी लेते हैं उन्हें अलजाइमर्स, डेमेंशिया और अलर्टनेस की दिक्कत नहीं होती। घी के एलिमेंट्स दिमाग को शांत करते हैं। हवन में और दीये में घी का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इसकी अग्नि वातावरण ठीक करती है। घी खाने से नहीं बल्कि न खाने से नुकसान है। घी फर्टिलिटी में भी फायदा करता है।
घी सुपरफूड है, इस बात को अब विदेशी भी मान गए हैं। भारतीय घरों में तो इसका इतना महत्व है कि इसे पूजा में भी इस्तेमाल किया जाता है। घी खाने का स्वाद तो बढ़ाता ही है साथ ही कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह गुड कोलेस्ट्रॉल का बढ़िया सोर्स माना जाता है। बढ़ते बच्चों के लिए घी खासकर बेहद जरूरी है। आयुर्वेद में घी को दवा माना जाता है। हालांकि घी के साथ सबसे बड़ी प्रॉब्लम इसकी शुद्धता को लेकर आती है। अगर आप घर पर घी बना रहे हैं तो बेस्ट है। लेकिन अगर आप बाजार से घी खरीदते हैं तो इसकी शुद्धता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बाजार में मिलावटी घी पकड़े जाने की खबरें अक्सर आती हैं। यह सच भी है कि बड़े स्तर पर घी में मिलावट होती है। आप जिस ब्रैंड का घी खरीद रहे हैं उसकी जांच यहां बताए तरीके से कर सकते हैं। अगर गड़बड़ लगे तो उस ब्रैंड को खरीदना बंद कर दें।
हथेली पर रखकर जांचें शुद्धता
घी की शुद्धता जांचने का यह सबसे आसान तरीका है। अपनी हथेली पर घी रखें, अगर यह अपने आप पिघल जाए तो घी शुद्ध है।
देखकर करें पहचान
शुद्ध देसी घी को आप इसकी रंगत और खुशबू से ही पहचान सकते हैं। हालांकि मिलावट करने वाले आजकल एक कदम आगे रहते हैं। शुद्ध घी के रंग में पीलापन होता है। सफेद दानेदार हिस्सा तली में रहता है और ऊपर पीला सा लिक्विड दिखता है। घी महंगा मिलता है तो कई ब्रैंड्स इसमें सस्ते तेल मिला देते हैं। जैसे नारियल तेल या डालडा।
हीट टेस्ट
एक बर्तन में घी डालकर इसे गैस पर चढ़ाएं। अगर घी तुरंत पिघल जाए और डार्क ब्राउन हो जाए तो यह शुद्ध है।
घी में होती है क्या मिलावट
घी में वेजिटेबल ऑइल्स और एनीमल बॉडी फैट्स मिलाए जाते हैं ताकि देखने में यह एकदम घी जैसा लगे। इसके अलावा भी आजकल कई ऐसी चीजें मिलाई जा रही हैं जैसे बोन डस्ट, लेड वगैरह जो कि सेहत के लिए नुकसानदायक हैं।