जिले के मुसहरी प्रखंड अंतर्गत छपरा मेघ गांव में बाबा दूधनाथ का विशाल मंदिर है. इस मंदिर से जुड़ी कई कहानी और परंपराएं हैं. यही कारण है कि बाबा दूधनाथ के प्रति भक्तों की श्रद्धा भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इस मंदिर के पुजारी पंडित राजीव मिश्रा बताते हैं कि महादेव का शिवलिंग मंदिर में उसी स्थान पर निकला था, जहां पर यह बाबा का मंदिर विराजमान है.

पंडित राजीव मिश्रा बताते हैं कि मंदिर प्रांगण में मौजूद पोखर की खुदाई सैकड़ों साल पहले हो रही थी. उसी दौरान खुदाई करने वाले मजदूर ने जब मिट्टी पर कुदाल चलाया, तब जाकर बाबा का शिवलिंग प्रकट हुआ. शिवलिंग पर कुल्हारी लगने से शिवलिंग से दूध की धार निकलने लगी. उस वक्त गांव वाले बेहद आश्चर्य हुए. देखते ही देखते चारों तरफ यह बात फैल गई.
शिवलिंग पर कुल्हाड़ी के निशान
कहा जाता है कि तभी एक महंत को इस घटना का स्वप्न आया, जिसमें महादेव ने कहा कि शिवलिंग को स्थापित कर मंदिर बनाओ. महादेव के शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के निशान है. उसके बाद ग्रामीणों ने मंदिर की स्थापना की.
गाय-भैंस को बच्चा होने पर मंदिर में चढ़ाते हैं दूध
दूधनाथ मंदिर के पुजारी राजीव मिश्र बताते हैं कि महादेव का यह मंदिर बेहद शक्तिशाली है. पुजारी आगे कहते हैं कि इस मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में आते हैं. वे कहते हैं कि इस मंदिर को लेकर एक विशेष मान्यता यह है कि इस इलाके में दूर-दूर तक जिस किसी भी पशुपालक की गाय-भैंस बच्चा देती है, वह बच्चे के12 दिन होने पर अपने पशु का दूध बाबा दूधनाथ को चढ़ाते हैं. इसके बाद ही वे पशु की दूध का इस्तेमाल करते हैं. पुजारी राजीव मिश्र बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोग बाबा दूधनाथ को दुग्धाभिषेक करते हैं.