राजधानी में दो वक्त की रोटी की जद्दोजहद करतीं सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी बदलने वाली शख्सीयत का नाम है क्रांति रासोश। जेपी के सर्वोदय आंदोलन से जुड़े रासोश दंपती ने 1969 में राजगीर के सर्वोदय सम्मेलन के दौरान आजीवन निस्संतान रहते हुए समाजसेवा का व्रत लिया था। तब शादी के चंद दिन ही बीते थे। 1995 में रासोश भी क्रांति को अकेला छोड़ चले गए। इसके बाद लोक समिति और नवभारत जागृति केंद्र से जुड़कर क्रांति महिलाओं की जिंदगी बदलने के अभियान में जुट गईं। वे आज तक इसमें लगी हैं।
क्रांति ने पटना के 52 स्लम का सर्वे किया। वहां की महिलाओं की स्थिति जानी। गरीबी, बेरोजगारी आदि से उनका नर्क हुआ जीवन देखा। उनका जीवन बदलने के लिए क्रांति ने सूक्ष्म ऋण का रास्ता चुना। इसके लिए उन्होंने स्वयं सहायता समूह बनाए। सभी समूह में स्लम की महिलाएं थीं। ज्यादातर महादलित या अल्पसंख्यक। शुरुआत लोहानीपुर से की और फिर राजधानी के स्लमों में उन्होंने करीब 150 समूह बनाए।