पटना: ऐतिहासिक कोसी महासेतु का नाम बदल गया है। ताजा अपडेट के अनुसार पुल पर एक नया बोर्ड लगाया गया है। इस पर जो नाम लिखा है उसके अनुसार कोसी महासेतु का नया नाम अटल महासेतु है। हालांकि यह अभी तक आफिसियल नाम नहीं कहा जा सकता है। इस बोर्ड पर शिलान्यास का साल 2003 है। दरभंगा के विपीन कुमार ने अपने फेसबुक पर फोटो पोस्ट करते हुए लिखा है कि- कोसी महासेतु’ का नाम बदला….अटल महासेतु। अभी तो लोगों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाना शुरू ही किया कि कोसी महासेतु का नाम बदला जाए। जब कि आधिकारिक हो न हो स्थानीय लोगों ने अटल महासेतु मान लिया। इधर सोशल मीडिया में कैंपेन चलाया जा रहा है कि कोसी महासेतु का नाम बदलकर अटल महासेतु कर दिया जाए।
वाजपेयी ने ही दी थी बिहार को पहली फोरलेन रोड, कोसी महासेतु देकर मिथिला पर किया सबसे बड़ा उपकार : बिहार के विकास में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान विशेष है। बिहार ने पहली बार चार लेन सड़क का चेहरा वाजपेयी जी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देखा था। लिहाजा शेरसाह सूरी के बाद सड़कों के विकास के मामले में बिहारवासी उन्हीं को याद करते हैं। इसके अलावा मैथिली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में डाल उन्होंने मिथिला वासियों की लंबी मांग पूरी की थी।
दीघा पुल, कोसी व मुंगेर का महासेतु, राजगीर आयुध कारखाना, बाढ़ थर्मल पावर प्लांट, हरनौत रेल कारखाने की अटल जी के प्रधानमंत्रत्वि काल में ही नींव रखी गई। बिहार के प्रति उनके प्रेम व लगाव को इसी से समझा जा सकता है कि जब 2000 में राज्य का बंटवारा हुआ तो उन्होंने बिहार के साथ भेदभाव नहीं होने की पुरजोर वकालत की। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड के तहत बिहार को विशेष वित्तीय सहायता दी। इसके अलावा हाजीपुर रेलवे जोन मुख्यालय भी अटल बिहार वाजपेयी की ही देन है। वाजपेयी ने सड़क के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की तो बिहार से गुजरने वाले जीटी रोड को पहली बार फोरलेन बनाया गया। इसके पहले बिहार में कोई फोरलेन सड़क नहीं थी।
सड़क के मामले में उनका योगदान ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के रूप में भी बहुत बड़ा है। उनके कार्यकाल में लखनऊ से असम तक जाने वाली इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ। बिहार में यह सड़क गोपालगंज से किशनगंज तक बननी थी। इसके अलावा मुंगेर में गंगा पुल के साथ पटना के जेपी सेतु को मंजूरी भी वाजपेयी जी ने ही दी थी। वर्ष 1934 में भूकंप के कारण कोसी पर निर्मित पुल टूट गया। इसके कारण मिथिलांचल दो भागों में बंट गया। एक ओर दरभंगा और मधुबनी रह गए तो दूसरी ओर सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया और सीमांचल का इलाका था। वाजपेयी ने वर्ष 2003 में इसका शिलान्यास किया। वर्ष 2012 में पुल बनकर तैयार हुआ और मिथिलावासियों का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ।
बिहार को वाजपेयी की प्रमुख देन : बिहार पर अटल जी की कृपा सदैव बरसती रही। यही कारण है कि बिहार के लोग अटल जी को कभी नहीं भूला पाएंगे। वाजपेयी जी ने बिहार को कोसी महासेतु, कोसी रेल पुल, मुंगेर में गंगा पर पुल, दीघा-सोनपुर गंगा पुल, हरनौत रेल कारखाना, राजगीर आयुध फैक्ट्री, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर।
मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह : वाजपेयी जी ने बिहार की प्रमुख भाषा मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया। उन्होंने वर्ष 2003 में ही मैथिली को यह सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि मैथिली इसकी वास्तविक हकदार थी। वाजपेयी जी ने बिहार की चिरप्रतिक्षित मांग पूरी की। एक तरह से कहा जाए तो बिहार सदैव अटलजी का ऋणी रहेगा।
Source: Live Bihar