पटना: बिहार सरकार का एक फैसला देश भर में चर्चा के केंद्र में है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पारिवारिक बंटवारे की जमीन निबंधन फ्री में करने की घोषणा कर दिया है । 9 जुलाई को लोक संवाद कार्यक्रम में लोगों से बात करने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आपसी भाईचारे से हुए जमीन बंटवारा के बाद रिकार्ड को ठीक करने के लिए फ्री में निबंधन का प्रावधान किया जाएगा । उन्होंने अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि राज्य भर में सबसे अधिक मुक़दमे जमीन से जुड़े होते है । इतना ही नहीं कभी–कभी जमीनी विवाद हिंसक संघर्ष तक पहुंच जाता है । ऐसी स्थिति में अगर पांच लोग आपस में बैठकर पुश्तैनी जमीन का बंटवारा करते हैं तो रिकार्ड के लिए फ्री मे रजिस्ट्री होने के व्यवस्था होनी चाहिए । अगर विभाग चाहे तो एक रुपया या पांच रुपया नोमिनल चार्ज ले सकता है ।
आइडिया ऑफ़ सुबोध कुमार
बात 12 जून 2017 की है । शेखपुरा के तत्कालीन एसडीएम सुबोध कुमार एक दिन के आकस्मिक अवकाश लेकर मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में पहुँचते है। संवाद कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में वे मुख्यमंत्री को जमीन रजिस्ट्री से जुड़े कई सुझाव देते है । जिनमें प्रमुख सुझाव यह था कि जमीन खरीद में करेन्ट रसीद अनिवार्य कर देना चाहिए । यह करेंट रसीद अलग से काटा जाना चाहिए, जिसमें खाता नंबर, खेसरा नंबर और चौहद्दी का कॉलम हो । इससे जमीन बेचने वाले और सभी पक्षों को स्पष्ट रूप से रजिस्ट्री की जाने वाले जमीन के बारे में सही तथ्यों की जानकारी मिलेगी ।
वर्ष 2010 से रजिस्ट्रार के पद पर महाराजगंज में तीन साल तक कार्य करने वाले सुबोध कुमार उसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को सुझाव देते है कि लगान रसीद का निर्माण इस प्रकार कर दिया जाए कि जिनके नाम पर रसीद कट रही है, वो ही उसे बेच सकता है । दूसरा अन्य कोई भी उतराधिकारी किसी भी सूरत में उस जमीन को नहीं बेच सकता है ।
यदि उतराधिकारी उस जमीन को बेचना ही चाहता हो, तो उतराधिकारी बालिग़ होना चाहिए और जमीन का बंटवारा रजिस्ट्री करा लेना आवश्यक हो। पुश्तैनी जमीन के बंटवारा रजिस्ट्री शुल्क को आधा प्रतिशत या निःशुल्क कर देना चाहिए, ताकि लोग बंटवारा रजिस्ट्री के प्रति जागरूक हो।
वर्तमान में भूमि एवं राजस्व विभाग, पटना में ओएसडी के पद पर कार्यरत श्री सुबोध कुमार कहते है कि शहरी क्षेत्रों में व्यवसायिक, आवासीय तथा सभी प्रकार के जमीनों की बिक्री से पहले उसकी घेराबंदी करना अनिवार्य कर दिया जाए। ऐसा होने से झगड़ा-लड़ाई, केस-मुकदमों में भारी कमी आएगी।
श्री सुबोध कुमार कहते है कि रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत होने के दौरान ही उनके दिमाग में यह आइडिया आया था, श्री कुमार स्पष्ट करते है कि वे नौकरी सामाजिक सरोकारों के लिए ही करते है ।
बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सुबोध कुमार नौकरी के दौरान मिले अनुभव को जमीन पर सकरात्मक बदलाव की कोशिश कर रहे है । ऐसे अधिकारी बहुत ही कम है ।
अरविंद केजरीवाल को भी दे चुके है सुझाव
सामाजिक सरोकारों पर ख़ास रूचि रखने वाले आईआईटी, बीएचयू से स्नातक श्री सुबोध कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी औड- इवन पर परामर्श दे चुके है। वर्ष 2015 में उन्होंने दिल्ली मुख्यमंत्री को कई सुझाव दिया था ।
जिनमे एक मुख्य सुझाव था कि गाड़ियों की खरीद से पहले पार्किंग स्थल उपलब्ध होने का प्रमाण पत्र देना सुनिश्चित कर दिया जाए । इससे सड़क पर गाड़ियां पार्किंग कर अनावश्यक जाम लगने में कमी आएगी । श्री कुमार के सुझाव पर अमल करने में दिल्ली सरकार भले ही देर कर रही हो, लेकिन वर्ष 2017 में सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसी ही योजना को जमीन पर उतारने का संकेत दिया था ।
Source: National Varta