रसोई गैस की कीमतें आसमान छू रही है। पटना में पिछले पांच महीनें में रसोई गैस 182.50 पैसे महंगा हो चुका है, जबकि कॉमर्शियल गैस की कीमत 271.50 रुपये बढ़ चुकी है। इससे गृहिणियों का बजट हर माह गड़बड़ा जा रहा है। वे केवल सरकार को कोस कर मन को तसल्ली दे रही हैं। रसोई गैस के बढ़े हुए कीमत की भरपाई के लिए अन्य खर्चे में कटौती करने को मजबूर हैं।
इस वक्त रसोई गैस सिलिंडर की कीमत 916.50 रुपये प्रति सिलिंडर हो गयी है। मई माह में इसकी कीमत 734 रुपये प्रति सिलिंडर थी। रसोई गैस की बढ़ती कीमत का सबसे अधिक असर प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना पर देखने का मिला रहा है। चाह कर भी उज्ज्वला योजना के लाभार्थी एलपीजी सिलिंडर नहीं खरीद पा रहे हैं। इसका उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
बिहार स्टेट कार्यालय इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड की मुख्य महाप्रबंधक वीणा कुमारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क दर और विदेशी मुद्रा विनिमय दर के अनुसार एलपीजी के सिलिंडर के दाम तय होते हैं जिसके आधार पर सब्सिडी राशि में हर माह बदलाव होता है। ऐसे में जब अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ती है तो सरकार अधिक सब्सिडी देती है, लेकिन कर नियमों के अनुसार एलपीजी पर जीएसटी की गणना ईंधन के बाजार मूल्य पर ही तय की जाती है। ऐसे में सरकार ईंधन की कीमत के एक हिस्से को तो सब्सिडी के तौर पर देती है, लेकिन कर का भुगतान बाजार दर पर करना होता है। इसी के कारण एलपीजी पर कर गणना का प्रभाव पड़ता है जिससे इसके दाम में बढ़ोतरी होती है।
बिहार एलपीजी डिस्ट्रबूयटर एसोसिएशन के महासचिव डॉ. राम नरेश सिन्हा ने बताया कि तेल कंपनियां हर माह की पहली तारीख को एलपीजी सिलिंडर की आधार कीमत में बदलाव करती है। वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी का असर बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर पर भी पड़ता है। सभी उपभोक्ताओं को बाजार कीमत पर ही एलपीजी सिलिंडर खरीदना होता है। हालांकि सरकार साल भर में 14.20 किलोग्राम के 12 सिलिंडर पर सब्सिडी देती है जिसमें सब्सिडी की राशि सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खाते में पहुंच जाता है।