आपने एक पुरानी कहावत सुनी होगी… खेलोगे धूपोगे तो बनोगे खराब… पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब…लेकिन अब यह कहावत गलत होती नजर आती है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिस खेल का कभी भागलपुर में नामोनिशान नहीं था अब उसमें बच्चे मेडल लाकर नाम रोशन कर रहे हैं. कभी यहां पर स्केटिंग नहीं हुआ करता था लेकिन अब स्केटिंग में मेडल भी खिलाड़ी ला रहे हैं. हाल ही में हुए मुजफ्फरपुर में इंटर डिस्ट्रिक्ट में भागलपुर के चार बच्चों ने स्केटिंग में अपना परचम लहराया है. किसी ने सिल्वर किसी ने ब्रांच तो किसी ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. भागलपुर के चार बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को दिखाएंगे.

डीआईजी ऑफिस के समीप रहने वाले आराध्या ने गोल्ड मेडल हासिल की है. वही, अध्यांश ने सिल्वर मेडल हासिल किया है. तो रेयांश व दीवाना ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल. इसको लेकर जब कोच अमन व यीशु से बात की गई तो दोनों ने बताया कि पहले यहां पर स्केटिंग नहीं हुआ करता था. यह बड़े-बड़े शहरों में देखने को मिलता था. लेकिन जब मैं भागलपुर आया तो मुझे लगा कि यहां पर खेल के प्रति बच्चों की भावना अलग है. इसलिए क्यों ना इसको शुरू किया जाए. तभी मैंने चार बच्चों से इसकी शुरुआत की और लोग धीरे-धीरे रुचि लेने लगे और इसमें अधिक बच्चे जुड़ने लगे. सबसे अच्छी बात यह है कि यह पहले स्कूल के ओलंपिक गेम में शामिल नहीं था. लेकिन अब इसको स्कूल के ओलंपिक गेम में शामिल कर लिया गया.
किसान का बेटा राष्ट्रीय स्तर पर बेखेरेगा जलवा
राष्ट्रीय स्तर पर अगर 19 वर्ष से ऊपर के खिलाड़ी इसमें मेडल लाते हैं तो उन्हें पुरुस्कार के साथ-साथ नौकरी भी दी जाएगी. अब धीरे-धीरे यहां भी बच्चों की रुचि बढ़ी और इस गेम में आने लगे. इसको लेकर जब खिलाड़ी दीवाना से बात की गई तो उसने बताया कि मेरे पिता किसान है. मुझे बचपन से खेलने का शौक है लेकिन स्केटिंग यहां पर नहीं होती थी तो मैं नहीं कर पा रहा था. फिर भी अपने से प्रयास करता था लेकिन हो नहीं पता था. तभी इनके बारे में पता चला और मैं यहां पर इशू और अमन सर के पास सीखा और अब राष्ट्रीय स्तर पर नाम को अंकित कर पाया हूं. उसने बताया कि मेरी तमन्ना यही रहेगी कि मैं वहां भी मेडल जीत कर और अपने राज्य का नाम रोशन करूं.