केश, जिन्हें हमेशा से महिलाओं की सुंदरता का प्रतीक माना जाता था, वह सिर्फ सुंदरता का ही नहीं बल्कि उनके क्रोध, रोष, जिम्मेदारी, खुशी, प्रेम, उम्मीद और अन्य भावनाओं को दर्शाने का माध्यम भी रहे हैं. केशों से इन्हीं भावनाओं को बिहार म्यूजियम में रैंप वॉक पर दर्शाया गया. रैंप वॉक में बेगम मुमताज,गुप्त कालीन देवी ब्रह्मणी, गुप्तकालीन परिचारिका, पालकालीन तारा, दीदारगंज यक्षी की हेयरस्टाइल को पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राओं ने जीवंत किया. इसके अलावा महाभारत, मौर्यकाल यूरोपियन वूमेन, आदिवासियों में महिलाओं के रूप और आम नारी को दर्शाया गया. इस रैंप वॉक में कपड़े और आभूषण निफ्ट की ओर से तैयार किए गए थे.\
पटना विमेंस कॉलेज की छात्राओं का रैंप वॉक
मुगलकाल की मुमताज को वादिनी गुप्ता ने प्रदर्शित किया. उस वक्त उनके बाल कंधे तक होते थे. उनके बालों को सोने के तारों से सजाया जाता था. पालकालीन तारा के किरदार को आंचल प्रिया ने दर्शाया. साथ ही संदेश दिया कि तारा अनाज की देवी मानी जाती थी. उनके हाथ में कमल होता था और उनके बाल बंधे होते थे. वह सोने के आभूषणों से सजी होती थी. गुप्तकालीन परिचारिका का किरदार नैसी वर्मा ने निभाया. उन्होंने महिलाओं की सुंदरता और उनके कोमल भाव को दर्शाया. गुप्तकालीन देवी ब्रह्मणी का किरदार कोमल प्रिया ने निभाया. जिसमें दिखाया गया कि ब्रह्मणी रौद्र रूप की देवी थी. उन्हें रूद्राक्ष से सजाया जाता था. ब्रह्मणी ने असुरों को नाश किया था. दीदारगंज की यक्षी किरदार प्रेरणा सिंह ने निभाया, जिसमेंदिखाया गया कि यक्षी की तुलना मोनालिसा से की जाती थी. उनके बालों को चांदी के आभूषणों से सजाया था. आपको बता दें कि यक्षी का केश कला मौर्यकालीन समाज को दर्शाता है, जिसमें जुड़ा बनाया जाता है, जिसे नीचे की ओर से मोड़ा जाता था. आपको बता दें कि इनके आभूषणों और कपड़ों को निफ्ट पटना की छात्राओं ने डिजाइन किया है.
आप भी बनवा सकते हैं हेयरस्टाइल
इस केश कला प्रर्दशनी में अलग-अलग युग की आठ महत्वपूर्ण महिलाओं के हेयर स्टाइल देखने को मिल रहा है. पेमेंट बेसिस पर महिलाएं अपने बाल पर पुराने हेयरस्टाइल बना सकेंगी. जावेद हबीब अपनी टीम के साथ इन हेयरस्टाइल को बनाएंगे. यह प्रर्दशनी सह कार्यशाला 21 दिनों तक चलने वाली है. जिसमें लोग आकर देख सकते हैं. बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि इस एग्जीबिशन ने लोगों की कल्पनाओं को दर्शाया है. कला, युवा और संस्कृति विभाग की सचिव बंदना प्रेयशी ने कहा कि इस प्रदर्शनी को देखने के बाद बालों को लेकर इज्जत और अधिक बढ़ गई.