लीची के दीवानों के लिए खुशखबरी है. महज कुछ ही दिनों के बाद मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद भी चख सकेंगे. बागानों में लीची में आ रही लाली देखते बन रही है. पेड़ में काफी मात्रा में फल पक चुके हैं. बता दें कि यहां की शाही लीची की धमक भारत ही नहीं पूरे विश्व में है. उम्मीद है कि 20 मई तक शाही लीची की पहली खेप बाजार में आ जाएगी.
इधर, शाही लीची के किसानों के लिए राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय ने कई गाइड लाइन जारी की हैं. इसके तहत किसानों को बताया गया है कि फल टूटने से 15 दिन पहले दवा का छिड़काव बेहद जरूरी है. विशेषज्ञ का कहना है कि अभी लीची के फल को फल छेदक कीटों से बड़ा नुकसान होने की संभावना रहती है. लीची को इन कीटों से बचाने के लिए थायोकलोप्रिड और लामडा सिहलोथ्रिन का छिड़काव करें.
इस समय तोड़ें लीची
मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केंद्र और राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के निर्देश में बताया गया कि लीची टूटने के लिए तापमान बहुत मायने रखता है. सही तापमान में फल टूटने से रखरखाव में परेशानी नहीं होती. लीची की गिनती नाजुक फलों में होती है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि लीची सही तापमान में टूटे. विशेषज्ञों की मानें तो सुबह और शाम के वक्त तापमान कम होने पर किसानों को लीची तोड़ना चाहिए.