अगर आपको कुछ अलग करना है तो लीक से हटकर काम करना होगा. बिहार के आरा में एक किसान ने यही किया. गैर परंपरागत और सीजन के विपरीत जा कर फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती शुरू की. इससे साल का लगभग 7 लाख रुपया कमा रहे है. पूरे भोजपुर में ऐसी खेती करने वाले एकलौते किसान हैं रंजीत मिश्रा. जो सदर प्रखंड के बेला गांव के निवासी है. 3 से 4 एकड़ में रंजीत मिश्रा एक साल में तीन सीजन फूलगोभी और पत्तागोभी का खेती करते हैं.
फूलगोभी और पत्तागोभी ऐसी सब्जी है. जिसे लगभग सभी लोग पसंद करते हैं. ठंड के दिनों में तो ये कहीं भी मिल जाती है, लेकिन गर्मी और बरसात में बड़ी मुश्किल से कोल्ड स्टोर वाली गोभी मिलती है. जो किसान गर्मी और बरसात में खेती करते है वो बहुत अच्छा मुनाफा भी कमाते है ऐसे ही एक उदाहरण आरा के रंजीत मिश्रा है.
ऐसे करते हैं रोपाई, लगाते हैं अलग-अलग प्रजाति
किसान रंजीत मिश्रा गोभी खेती के बारे में बताते है कि सबसे पहले नर्सरी तैयार किया जाता है.नर्सरी तैयार हो जाने के बाद खेतों में इसकी रोपाई लाइन बाई लाइन और पौधे से पौधे की दूरी 24 बाई 24 सेमी रखी जाती है. खेत में पौधे की रोपाई के बाद नमी रहना बहुत ही जरूरी होता है. नमी ना होने से पौधे सूख जाते हैं. वैसे फूलगोभी की खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. रंजीत मिश्रा आगे बताते हैं, \”हम गोभी की अलग-अलग प्रजाति की खेती करते हैं. जिसकी नर्सरी एक एक माह के अंतराल पर करते रहते हैं. उसकी रोपाई करते हैं. जिससे इसका उत्पादन करीब पांच माह तक हमें मिलता रहता है.
एक एकड़ में 20 से 25 हजार रुपए लागत
एक एकड़ क्षेत्रफल में करीब 20 से 25 हजार रुपए की लागत लगती हैं. अगर बाजार में अच्छा रेट मिल जाए तो एक से दो लाख रुपए तक मुनाफा हो जाता है. गोभी की फसल पौधा रोपाई के बाद 80 से 90 दिनों में फूल तैयार हो जाता है. इस प्रकार साल में तीन बार गोभी की खेती करते हैं. इसके लिए बहुत से दवा और कीटनाशक हरियाणा के किसान भाइयों के मदद से मंगाते है. चुकी हमारे यहां ये सही समय पर नहीं मिल पाता.
कृषि विज्ञान केंद्र से मिलती है मदद
भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र और उसके वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.पीके द्विवेदी के द्वारा रंजीत मिश्रा को समय-समय पर तकनीकी जानकारी, नए बीज कीट का ट्रायल इत्यादि जानकारी दी जाती है. किसान का कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा भरपूर मदद मिलती है. कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा ही सलाह दिया गया था कि गैर परंपरागत तरीके से और विपरीत सीजन में गोभी की खेती हम करें. जिसका आज लाभ हमें भरपूर मिल रहा है. कई जगहों पर खेत लीज पर लेकर हम गोभी की खेती बड़े पैमाने पर अब कर रहे हैं.