परंपरागत खेती से इतर, सब्जी और मेडिसिनल प्लांट की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद होते जा रहा है. यही कारण है कि बिहार के अलग-अलग जिलों में युवा किसान अब सब्जी और मेडिसिनल प्लांट की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. मधुबनी जिले के रामपट्टी गांव के युवा किसान विनोद मेहता ने 11 कट्ठा जमीन में नेट हाउस पद्धति से खीरा की खेती की है. किसान विनोद की माने तो महज 3 महीना में ही उन्हें लगभग ढाई लाख रुपए का फायदा हुआ है. इससे उत्साहित होकर वह अब परवल के साथ-साथ केला की भी खेती करने की सोच रहे हैं.

किसान विनोद महतो का कहना है कि वैसे तो वे कई वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन पहले परंपरागत किया करते थे. इसमें बहुत ज्यादा मेहनत के बावजूद मुनाफा काफी कम होता था. इस कारण से उन्होंने सब्जी की खेती शुरू की. विनोद बताते हैं कि उन्होंने संरक्षित खेती की इकाई की शुरुआत 11 कट्ठा जमीन से की है. इसके लिए सरकार से सब्सिडी का भी लाभ मिला. उन्होंने बताया कि 5 लाख रुपए की लागत से नेट हाउस तैयार किया. इसमें पहली फसल खीरे की लगाई. पहली फसल से ही नेट हाउस में आया खर्चा वसूल हो गया. मात्र तीन महीने में ही 2.5 लाख का मुनाफा हुआ.
दूसरे किसान भी सीख रहे तकनीक
विनोद कहते हैं कि खीरे की फसल में अच्छा मुनाफा को देखते हुए उन्होंने परवल और केले की खेती भी शुरू कर दी. विनोद ने बताया कि समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह लेना पड़ता है. साथ ही समय-समय पर फसल में उर्वरक और कीटनाशा का छिड़काव करना पड़ता है. वे कहते हैं कि नेट हाउस में सब्जी की खेती करते उनकी देखा देखी दूसरे किसान भी प्रेरित हुए हैं. कई किसान उनकी खेत पर आकर फसल देखते हैं. वे किसान भी सब्जी की खेती करना चाहते हैं.