खर्च चलाने के लिए मीना ने शुरू किया लहठी निर्माण, अब रोजाना हो जाती है इतनी कमाई

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शादी सहित अन्य शुभ कार्य को लेकर महिलाओं के सजने और संवरने के लिए बाजार में एक से बढ़कर एक खूबसूरत गहने और श्रृंगार का सामान उपलब्ध रहता है, लेकिन इनमें सबसे अलग और खूबसूरत श्रृंगार लहठी को माना जाता है. लाह को आग में तपाकर घरों में बनाया गया लहठी महिलाओं की पहली पसंद होती है. इसे शुभ भी माना जाता है. आपको बता दें कि लहठी निर्माण में प्रयोग होने वाले लाह को पूर्णिया से खरीदकर बेगूसराय लाया जाता है.

बिहार के ग्रामीण इलाकों में लाह से बनी इस लहठी को लहना लहठी के नाम से भी जाना जाता है. इसे देखते ही महिलाएं खरीद लेना चाहती हैं. खासकर यदि त्योहारी सीजन हो तो महिलाएं लहना लहठी विशेष रूप से खरीदती हैं.

बेगूसराय की मीना ने मजबूरी में शुरु किया निर्माण

बेगूसराय जिला के बखरी के परिहारा की रहने वाली मीना देवी ने लोकल 18 को बताया कि 18 साल की ही उम्र में शादी हो गई थी. शादी के बाद ससुराल की आर्थिक रूप से पारिवार की स्थिति समृद्ध नहीं थी. ऐसे में खुद परिवार को चलाने के लिए किसी रोजगार की तलाश करने लगे.

इस दौरान ससुराल के आस-पास लहठी का निर्माण किया जा रहा था. फिर क्या था यहीं पड़ोसियों से सीखकर लहठी का निर्माण शुरू किया. इस कार्य से जुड़े 40 वर्ष हो गया है. मीना बताती हैं कि पहले साहूकारों से कर्ज लेकर छोटे स्तर पर लहठी निर्माण कर बेचने का काम करते थे. वहीं 2017 के बाद जीविका में जुड़ी. जहां एक फीसदी ब्याज पर आसानी से पैसे मिलने लगा. अब पांच महिलाओं के साथ मिलकर आस-पास के तीन जिलों में लहठी की बिक्री कर रहे हैं.

रोजाना एक हजार की होती है कमाई

मीना देवी ने बताया कि सहाना, कारगिल और चुनरी लहठी का निर्माण कर रही हैं. रोजाना तकरीबन 100 से 150 जोड़े लहठी का निर्माण कर 3000 हजार का कारोबार 5 जीविका से जुड़ी महिलाओं को काम देते हुए कर रही हैं. यहां लहठी को कलर कर आकर्षक बना रही रीना देवी ने बताया 400 से 500 तक की कमाई कर रहीं हैं.वहीं बेगूसराय के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार और शौकत अली का मानना है कि लहठी पहनने से कलाई पर किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होती है. जबकि अन्य धातु या वस्तुओं से बनी चूड़ियों के उपयोग से कभी-कभी महिलाओं को त्वचा संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है.

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