जिला मुख्यालय हाजीपुर के कोनहारा घाट को पुराणों के अनुसार मोक्ष धाम माना जाता है. पुराणों में वर्णन है कि यही वह स्थान है, जहां भगवान विष्णु ने गज यानी हाथी रूपी अपने भक्त की पुकार पर आकर घड़ियाल का वध किया और उसके चंगुल से हाथी को मुक्त कराया.
भगवान के हाथों वध होने के बाद घड़ियाल को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी. तभी से इस जगह को मोक्ष धाम माना जाता है. इस स्थान की एक और विशेषता है. यहां कार्तिक पूर्णिमा की रात को भूतों का मेला लगता है. कार्तिक पूर्णिमा में अब कुछ ही दिन शेष हैं, तो यहां भी तैयारी शुरू हो गई है.
रातभर चलता है अनूठा भूत अनुष्ठान
पूर्वी भारत के अधिकांश ओझा गुनी के लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष होता है. भूत-प्रेत जैसी बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने और दिलाने के लिए ओझा इस खास कार्तिक पूर्णिमा का इंतजार करते हैं. इस दिन कोनहारा घाटआकर अनुष्ठान कर भूतों को अपने ऊपर से भगाते हैं.
यही कारण है कि इस दिन यहां पूजा-पाठ कराने के लिएदूर दराज से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. ओझा के द्वारा रातभर भूत बुलाने और भगाने का अनुष्ठान चलता है. स्थानीय भाषा में इसे भूतखेली कहते हैं. कई किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जगह पर कार्तिक पूर्णिमा की रात को आपको दूर-दूर तक हर जगह एक से बढ़कर एक अनूठे भूत अनुष्ठान देखने को मिल जाएगा.
विदेशों से भी पहुंचते हैं लोग
इस जगह पर भारत ही नहीं, विदेश से भी लोग पहुंचते हैं. कई लोग तो सिर्फ भूतखेली देखने आते हैं. कोनहारा घाट के महाकाल बाबा बताते हैं कि लोग गजेंद्र मोक्ष भगवान के अवतरण तिथि को याद करते हुए कोनहारा घाट पर स्नान करने के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत के आठवें पटल पर गजेंद्र मोक्ष कथा के रूप में वर्णन मिलता है.
वे कहते हैं कि गज और ग्रह दोनों श्रापित थे. स्वर्ग से यहां आए और अपना लीला किया. मान्यता है कि किसी को भूत या प्रेत जकड़ ले तो कार्तिक पूर्णिमा की रात यहां आने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है. उन्होंने बताया कि यहां इस रात को भारत के साथ-साथ नेपाल और इंडोनेशिया आदि देशों से भी लोग पहुंचते हैं.