देश के सर्वाधिक 44 प्रतिशत सोना के अपने भूगर्भ मे छिपाये करमटिया जल्द ही सोनो ही नहीं बल्कि प्रदेश की सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। यहां सोना की खुदाई शुरू होने के बाद सुरक्षा और सुदृढ़ होगी, सड़कें अच्छी होंगी, नयी कॉलोनियां बसेगी, व्यवसाय का अवसर बढ़ेगा तो रोजगार भी बढ़ेगा। ऐसे में अशिक्षा और बेरोजगारी के कारण नक्सल की राह पकड़ने वाले युवा भी नक्सल की राह छोड़कर रोजगार के जरिये मुख्यधारा में शामिल होंगे। जिले के समाजशास्त्रियों का यह स्पष्ट मत है।
बता दें कि क्षेत्र में अशिक्षा, बेरोजगारी, पिछड़ेपन की वजह से कई युवा रास्ता भटक जाते हैं। सोना की खुदाई शुरू होने के बाद जब रोजगार मिलेगा, राह भटक चुके युवा स्वत: मुख्यधारा से जुड़कर देश के विकास में अपनी सहभागिता देंगे। पांच दिन पहले खान व भूतत्व विभाग की प्रधान सचिव ने संकेत दिया था कि यहां खुदाई का काम जल्द शुरू कराने के प्रयास हो रहे हैं।
1982 में चर्चा में आया क्षेत्र
सोनो की निर्जन व बंजर भूमि अक्टूबर 1982 में अचानक उस समय सुर्खियों में आयी जब स्थानीय स्वर्णकारों के पास इलाके के चरवाहे सोना बेचने के लिए रोजाना पहुंचने लगे। यह सिलसिला महीनों तक चला। धीरे धीरे इसकी भनक स्थानीय प्रशासन को लगी। स्थानीय प्रशासन को सूचना मिलते ही पुष्टि के बाद वरीय अधिकारियों को सूचित करते हुए स्थानीय प्रशासन ने करमटिया के उस भूभाग को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया जहां से सोना मिलने की बात कही जा रही थी।
इसके बाद कई वर्षों तक भूगर्भवेत्ताओं द्वारा भूछेदन कार्य कर भूगर्भ में छिपे सोना का सर्वे किया गया। सर्वे रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया कि सरकारी मानक के अनुसार दो ग्राम के लिए सोना प्रति टन मिट्टी की उपलब्धता होनी चाहिये जबकि इस सर्वे में डेढ़ ग्राम प्रति टन सोना पाया गया जो कि सरकारी मानक से कम था। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद करमटिया सोना खान की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गयी थी।
लोकसभा में खनन मंत्री ने उठाया मामला
करमटिया एक बार तब फिर सुर्खियों में आया जब लोकसभा में खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी दी कि देश के कुल स्वर्ण भंडार का 44 प्रतिशत सोना सोनो के करमटिया के भूगर्भ में छिपा है। खनन मंत्री के इस खुलासे के बाद पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी करमटिया को लेकर एक बड़ी घोषणा कर क्षेत्र के लोगों को उम्मीद की किरण दिखाई।