बिहार में मॉनसून की बेरूखी के चलते अधिकतर जिलों में बारिश की कमी से सूखे के हालात बन गए हैं। ऐसे में राज्य की नहरें भी सूख गई हैं। वैशाली, जहानाबाद, अरवल समेत कई जिलों की अधिकतर नहरों में धूल उड़ रही है। वहीं, कई नहरों में पानी बहुत कम होने से किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका असर धान की फसल पर पड़ रहा है। पानी नहीं मिलने से धान की फसल सूख रही है, खेतों में दरारें पड़ गई हैं और कहीं-कहीं तो बिचड़े जल गए हैं।
बिहार की अधिकतर नहरें सूखे की मार झेल रही हैं। कई जिलों में नहरों से पानी गायब है। कहीं पानी है तो भी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पा रहा है। कोसी, गंडक और सोन नदीके अलावा उत्तर कोयल नहर परियोजना के हालात बहुत खराब हैं। जहानाबाद और अरवल में मुख्य नहर से एक दिन भी 300 क्यूसेक से ज्यादा पानी नहीं पहुंच पाया है, जबकि आवश्यकता 1191 क्यूसेक पानी की रोजाना होती है। फल्गु नदी पर बनी उदेरा स्थान सिंचाई परियोजना की नहर में एक बूंद पानी नहीं है।
वैशाली जिले में सरैया कैनाल के अंतर्गत आने वाली तीन बड़ी नहरें हैं। इनमें से सिर्फ एक पानी में पानी छो़ा गया है। भोजपुर जिले में इंद्रपुरी बराज में दो दशक में पहली बार बड़ा जल संकट खड़ा हो गया है। आरा मुख्य नहर में भी पानी नहीं है।
रोहतास जिले के इंद्रपुरी बराज से कैमूर जिले की सोन उच्चस्तरीय नहर में 600 की जगह महज 102 क्यूसेक पानी मिल रहा है। वहीं कर्मनाशा नहर में भी यूपी से आधा पानी ही आ पा रहा है। पानी की कमी से धान के खेतों में सिंचाई नहीं हो पा रही है। इससे बिचड़े सूखते जा रहे हैं।
गोपालगंज जिले में नहरों से करीब 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान के खेतों की सिंचाई की जाती है। मगर पानी नहीं मिलने से फसल प्रभावित हो रही है। सारण नहर से भी आधे से कम पानी छोड़ा जा रहा है। मुजफ्फरपुर में तिहहुत नहर और इसकी दोनों सब कैनाल में पानी नहीं है।
पटना की नहरें भी सूखीं
पटना जिले में भी नहरें सूख रही हैं। ऐसे में किसान बारिश की आस में आसमान की ओर ताक रहे हैं। सोन नहर का पानी महाबलीपुर, पालीगंज, दुल्हिनबाजार, बिक्रम, बिहटा, नौबतपुर क्षेत्र में नहर का पानी नहीं मिल पा रहा है। इससे धान रोपनी प्रभावित हो रही है।
कोसी-सीमांचल में हालत खराब
कोसी, सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों में भी नहरों से सिंचाई पर्याप्त नहीं हो पा रही है। कुछ जिलों में नहरें दुरुस्त नहीं हैं तो कहीं पर पानी पूरा नहीं छोड़ा जा रहा है। सहरसा जिले के चार प्रखंडों में 12,901 हेक्टेयर भूमि के मुकाबले महज 593 हेक्टेयर जमीन को ही सिंचाई का पानी उपलब्ध कराया गया है।
मधेपुरा जिले के घैलाढ़ में नहर का पानी नहीं मिलने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं। किशनगंज जिले के दिघलबैंक की नहर में पानी नहीं है। पूर्णिया जिले के धमदाहा में चारों नहरें सूखी हैं। लखीसराय में नहरों की मरम्मत नहीं हो पाई है।