ऐतिहासिक तौर पर विक्रमशिला खोदाई स्थल ‘तपोभूमि से तापभूमि’ बन चुके कहलगांव की एक पहचान है, पर यहां कई और ‘विक्रमशिला’ पहचान पाने को तैयार हैं। ये मिट्टी के टीलों में दफन पड़े हैं।
ऐतिहासिक धरोहरों की खोज में जुटी निदेशक पुरातत्व की टीम को अनुमंडल क्षेत्र के पांच स्थलों पर बड़े क्षेत्रफल में टीला मिला हैं। यह टीला विक्रमशिला खोदाई स्थल के बराबर के क्षेत्रफल में है, पर यहां से 20 से 35 किमी दूर अन्य दिशाओं में।
सुल्तानगंज, नाथनगर इलाके में कई ऐतिहासिक धरोहरों की खोज कर चुकी सरकारी टीम एक हफ्ते से कहलगांव की खाक छान रही है।