कब होगी भगवान राम और माता सीता की रिहाई? बिहार में कोर्ट के फैसले पर टिकी भक्तों की नजर

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बिहार में न्यायालय के एक आदेश से भगवान राम और माता सीता की प्राचीन बेशकीमती प्रतिमा थाने के मालखाने में छह साल से कैद है। ग्रामीणों ने एक बार फिर से प्रतिमा को मालखाना से आजाद कराने के लिए पंचायत बुलाकर संकल्प लिया है। यह पूरा मामला शेखपुरा जिले के घाटकुसुंभा प्रखंड अंतर्गत मेहूस थाना के माफो गांव का है।

साल 2016 का है मामला

 

 

 

दरअसल, फरवरी 2016 में गांव के ठाकुरबाड़ी से भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा चोरी कर ली गई। अष्ट धातु की निर्मित इन प्रतिमाओं की कीमत लाखों में बताई गई। वहीं तीन-चार महीने के बाद नालंदा जिले के अस्थावां थाना क्षेत्र के डुमरावां गांव से पुलिस ने प्रतिमा को बरामद कर लिया। पकड़े गए युवक के पास से देसी पिस्तौल भी मिली।

कोर्ट में दिया गया आवेदन

 

जानकारी देते हुए ग्रामीण शिक्षाविद विपिन सिंह, अनिल सिंह ने बताया कि प्रतिमा की बरामदगी होने के बाद वे लोग अस्थावां थाना में गए तो बिहारशरीफ कोर्ट जाने के लिए कहा गया। अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रतिमा को रिलीज करने का निवेदन किया गया। परंतु, न्यायालय के द्वारा आदेश दिया गया कि आर्म्स एक्ट का मामला खत्म होने के बाद ही प्रतिमा के मामले की सुनवाई होगी।

कोर्ट के चक्कर लगाते थके ग्रामीण

 

अब इस मामले में कुछ तारीखों तक गांव के लोग कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते रहे, फिर थककर बैठ गए। पिछले महीने गांव में पंचायत बुलाई गई। निर्णय लिया गया कि प्रतिमा को ठाकुरबाड़ी में लाया जाएगा।

2018 को ही आर्म्स एक्ट के मामले का वाद खत्म

उधर, जब इस मामले में फिर पहल शुरू हुई तो पता चला कि 30 नबंवर 2018 को ही आर्म्स एक्ट के मामले का वाद खत्म हो गया। प्रतिमा से संबंधित कोई आदेश ही न्यायालय के द्वारा जारी नहीं किया गया। विपिन कुमार बताते हैं कि गांव के लोग फिर से रिवीजन में गए हैं, ताकि न्यायालय से प्रतिमा के रिलीज का आदेश मिल सके।

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