सरकार ने तीनों जजों की नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी कर दी ,जस्टिस केएम जोसेफ सहित 3 जजों की SC में नियुक्ति, सोमवार को ले सकते हैं शपथ

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सरकार ने तीनों जजों की नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. इन तीन नए जजों के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट मे कुल न्यायाधीशों की संख्या 25 हो जाएगी.

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के जज के तोर पर नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. इसके अलावा सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत शरण को भी सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए नियुक्ति को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है.सोमवार को तीनों जज सुप्रीम कोर्ट में शपथ ले सकते है.

दरअसल,जस्टिस जोसेफ को नियुक्ति करने की दूसरी बार भेजी गई कोलीजियम की सिफारिश सरकार ने स्वीकार कर ली थी. इन तीन नए जजों के आने के बाद सुप्रीम कोर्ट मे कुल न्यायाधीशों की संख्या 25 हो जाएगी. जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नत करने को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच पिछले 7 महीने से टकराव चल रहा था.जोसेफ की प्रोन्नति दोनों के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी.

10 जनवरी को पहली बार की गई जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश

जस्टिस जे. चेलमेंश्वर (अब सेवानिवृत) ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर सिफारिश दोबारा भेजे जाने की बात कही थी इसके अलावा कोलीजियम के दूसरे सदस्य जस्टिस कुरियन जोसेफ ने भी एक बयान में सिफारिश दोहराने की बात कही थी.

कोलीजियम ने दोबारा की जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश

इसके बाद कोलीजियम ने गत 20 जुलाई को सरकार की आपत्तियां दरकिनार करते हुए जस्टिस जोसेफ के नाम की दोबारा सिफारिश कर दी थी.कोलीजियम ने दोबारा भेजी सिफारिश में कहा था कि उसने सरकार के 26 और 30 अप्रैल के पत्रों में उठाई गई आपत्तियों पर गहनता से विचार किया है और सारे पहलुओं पर गौर करने के बाद वह अपनी सिफारिश दोहराती है.


सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम ने जस्टिस जोसेफ के नाम की पहली बार 10 जनवरी को सिफारिश की थी लेकिन सरकार ने करीब चार महीने सिफारिश लंबित रखने के बाद जस्टिस जोसेफ के नाम पर पुनर्विचार के लिए कोलीजियम को वापस भेज दिया था. सरकार ने जस्टिस जोसेफ का नाम वापस करते हुए उनकी वरिष्ठता पर सवाल उठाए थे. साथ ही यह भी कहा था कि जस्टिस जोसेफ मूलत: केरल हाईकोर्ट से आते हैं जबकि केरल का पहले ही सुप्रीम कोर्ट मे पर्याप्त प्रतिनिधित्व है और बाकी कई प्रान्त हैं जिनका सुप्रीम कोर्ट में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. इसके बाद न्यायपालिका में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी.

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