सरकार की महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (2020-2022) का लाभुक बन कर लगभग सवा करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। कोल्हान के क्षेत्रीय पीएफ कार्यालय जमशेदपुर में 15 शेल कंपनियां बनाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। आरोपी पीएफ कार्यालय से जुड़ी कुछ कंपनियों को लेखा सलाहकर के रूप में सेवा देनेवाला प्रसन्नजीत घोष है।
उसने अपना दोष स्वीकार कर लिया है और शुक्रवार शाम 5 लाख रुपये लाकर पीएफ कार्यालय में जमा कर दिए हैं। उसने इस खेल में अपनी पत्नी नेहा घोष, ससुर नील समेत अन्य कई रिश्तेदारों के नाम पर 15 शेल कंपनियां बनायी है। इन कंपनियों में सैकड़ों आधार कार्ड का इस्तेमाल किया है। बताया जाता है कि करीब एक सप्ताह पहले इस मामले का अंदेशा पीएफ अधिकारियों को हुआ।
तब कुछ लोग वहां बकाया पैसा जमा कराने संबंधी मैसेज के बारे में पूछताछ करने पहुंचे थे। इसके बाद शुरू जांच में पता चला कि प्रसन्नजीत घोष ही घोटाले का मास्टरमाइंड है। जांच में यह बात सामने आई कि करीब 2500 आधार कार्ड का इस्तेमाल घोटाले में किया गया है। अधिकारियों ने प्रसन्नजीत द्वारा दिए पते की जब जांच की तो ऑफिस बंद मिला। संबंधित बैंक खातों के लेन-देन की जानकारी ली गयी है और उन्हें फ्रीज करने को कहा गया है।
सीबीआई को सौंपा जाएगा मामला
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पीएफ कमिश्नर के स्तर से इसकी जांच क्षेत्रीय पीएफ कमिश्नर-2 एसके गुप्ता को सौंपी गयी है। मुख्यालय ने इस मामले की जांच 15 दिनों में करने का निर्देश दिया है। इसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा जाएगा।
कोविड काल में शुरू योजना का उठाया फायदा
कोविड काल में भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना उद्योगों में नौकरियां बचाने, लोगों को नौकरियों से जोड़ने के लिए तैयार की थी। इसका लाभ उन लोगों को दिया जाना था, जिनकी मासिक आय 15 हजार रुपये से कम है। इसमें नियोक्ता व कर्मचारी, दोनों के पीएफ का अंशदान सरकार द्वारा वहन किया गया। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के समाप्त होने के बाद संबंधित लाभुकों के खाते में पैसा जमा कराने संबंधी मैसेज पहुंचने पर इसका खुलासा हुआ।
गिरफ्तारी नहीं, सिर्फ रिपोर्ट भेजने का अधिकार
पीएफ कार्यालय के अधिकारियों को इस तरह के मामलों में सिर्फ रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय भेजने तक का अधिकार है। वे किसी को गिरफ्तार कर नहीं सकते। जमशेदपुर के अलावा देश के कुछ अन्य शहरों में भी इस तरह के मामले पकड़ में आए हैं। इसलिए इन सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार कर जिला पुलिस को सौंपने के बजाय सीबीआई को सौपा जाना है।