शराबबंदी नीतीश कुमार की USP मानी जाती है। इसकी कामयाबी के बाद जदयू अब दहेजबंदी के खिलाफ अभियान शुरू करने वाला है। जद यू इस सामाजिक मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा बना कर सामाजिक बदलाव की एक और कोशिश करेगा। जदयू की नेता और शिक्षाविद डॉ. सुहेली मेहता ने आज बताया कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों में इसको पहली प्राथमिकता दी जाएगी। पार्टी के स्तर पर इसके लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है।
डॉ. सुहेली मेहता पटना यूनिवर्सिटी के मगध महिला कॉलेज में होम साइंस की प्रोफेसर हैं। इनका ताल्लुक राजनीतिक ङराने से हैं। ये बिहार के पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता की पुत्री हैं।
डॉ. सुहेली मेहता ने कहा कि राजनीति का उद्देश्य जनता की सेवा करना है। अगर सत्ता का प्रयोग सामाजिक सामस्याओं को दूर करने के लिए किया जाए तो सामाज में इसका सकारात्मक प्रबाव पड़ता है। शराबबंदी के परिणाम से पार्टी में बहुत उत्साह है।
शराबबंदी को लागू किये जाने के बाद बिहार में वंचित सामाज का जीवन स्तर पहले से बेहतर हुआ है। अब दहेजबंदी को लागू कर के सामाजिक जीवन को और बेहतर बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा भी की है। इसको लागू करने के स्वरूप पर अभी विचार विमर्श चल रहा है।
क्या कोई कानून बना देने से सामाजिक समस्या का अंत हो सकता है ? दहेज के खिलाफ तो पहले से कानून बने हुए हैं, लेकिन दहेज की लेन देन पर कभी अंकुश नहीं लग पाया। इस सवाल पर डॉ. सुहेली मेहता ने कहा कि हम कानून के साथ साथ जागरुकता के लिए अभियान चलाएंगे। खर्चीली शादियों के खिलाफ जनमानस तैयार करेंगे।
डॉ. सुहेली मेहता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे देश में सेक्यूलरिज्म की एक नयी मिसाल पेश की है। उन्होंने पूरे देश को बताया कि धर्मनिरपेक्षता की आड़ में भ्रष्टाचार को समर्थन नहीं दिया जा सकता। धर्मनिरपेक्षता विचारों में होनी चाहिए। राज्य के हित में उन्होंने भाजपा के साथ सरकार बनायी है। सरकार अब अपने काम से इसे सही साबित करेगी।