मुश्किलों में घिरा इंसान अक्सर हताश हो जाता है और अधिकतर अपने सपने से दूर हो जाते हैं। पर आज हम आपको एक ऐसे शख्स से जिसने अभावों मुश्किलों में भी अपना हौसला कायम रखा और अपने सपने को तो पूरा कर ही रहा है, साथ ही औरों को भी अँधेरे से निकालने की कोशिश में प्रतिदिन तत्पर्य रहता है।
हम बात कर रहे हैं पटना के बुद्धा इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल के बीडीएस के छात्र और EWZF ( एजुकेशन विथ जीरो फी) के संस्थापक जेयेश कुमार की। समस्तिपुर के रहने वाले जयेश के पिता किसान थे और माँ सरकारी स्कूल की शिक्षिका। जयेश के पिता कैंसर पीड़ित थे और माँ जो सम्बंधित बिमारी से ग्रस्त थीं। परिवार में अब जयेश, उसकी माँ और छह बहनें थीं। जब जयेश 10वीं कक्षा में पढ़ रहे थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। फिर तो मानो परिवार पर घोर विपत्ति छा गई।
पिता ने मरते वक्त कहा था की बीटा कुछ ऐसा करना की जिससे समाज का कल्याण हो।
जयेश ने ये सब होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और पढाई में तल्लीन हो गए। उनका तो बस एक ही सपना था की पढ़-लिखकर परिवार और समाज के लिए कुछ करना है। 12वीं की पढाई के बाद जयेश ने मेडिकल की तयारी शुरू की और फिर पटना के बुद्धा इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल में एडमिशन लिया।
जयेश के पूरा परिवार मिलकर जयेश की बीडीएस की पढ़ाई पूरी कराने में अपना सहयोग दे रहा है। वहीं जयेश ने पढाई का महत्त्व समझते हुए न सिर्फ लगन से अपनी पढाई कर रहे हैं, साथ ही समाज के गरीब बच्चे भी पढ़ सकें, इसके लिए उन्होंने अपने दोस्त के साथ EWZF ( एजुकेशन विथ जीरो फी) नाम की एक संस्था की शुरुआत की। EWZF की योजना कृषि, शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में ग्रामीण इलाके का विकास करने की है।
जयेश कहते हैं की सरकार बहुत सारी स्कीम देती है जो गरीब को नहीं मिल पता है। और हमारी कोशिश रहती है की हम गरीबों को इसके बारे में जागरूक करें। शुरूआती दौर में EWZF को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। काफी संघर्ष के बाद उनके काम की लोकप्रियता बढ़ी। अब लोगों ने रूचि लेना शुरू कर दिया और सहयोग भी कर रहे हैं।
जयेश की EWZF गरीब बच्चों की पढाई की व्यवस्था करती है। साथ ही वक्त -वक्त पर बालगृह में बच्चों को हेल्थ चेकअप करवाते हैं।
समाज के विकास में अपना योगदान देने वाले जयेश का प्रयास बहुत ही सराहनीय है।