बिहार में जाति आधारित गणना का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस मामले में पटना हाईकोर्ट के बीते मंगलवार को दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की गई है।
जानकारी के अनुसार, पटना हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने फैसले में बिहार की नीतीश कुमार की सरकार को बड़ी राहत दी थी।
इसके साथ ही पटना हाई कोर्ट ने जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली आधा दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
इसके बाद नीतीश सरकार ने इस गणना का काम फिर से शुरू भी कर दिया था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दाखिल कर इस मामले से जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाने से पहले बिहार सरकार का पक्ष सुने जाने की गुहार भी लगाई थी।
परंतु, अब इस मामले में एक नई याचिका दाखिल होने से एक बार फिर यह प्रकरण सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहुंच गया है। बता दें कि बिहार में जाति आधारित गणना का काम के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल महकमा बनाया गया है।
जाति अधारित गणना क्या है? (What is Caste Census)
जाति के आधार पर आबादी की गिनती को जातीय गणना कहते हैं। इसके जरिए सरकार यह जानने की कोशिश करती है कि समाज में किस तबके की कितनी हिस्सेदारी है। कौन वंचित है और कौन सबसे समृद्ध।
कोई इसे जातीय गणना तो कोई जातीय जनगणना कह रहा है। इससे लोगों की जाति, धर्म, शिक्षा और आय की जानकारी मिलने से उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चल पाता है।