हिंदू धर्म में बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा का काफी खास महत्व होता है. हर साल बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है. बसंत पंचमी को देश के कई हिस्सों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. धूमधाम से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस साल बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023 के दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. कोरोना के बाद अब प्राय: सभी त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जा रहे है.
मां सरस्वती की पूजा करने का मिलता है विशेष लाभ
मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के मुख से ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी. विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का खास महत्व है. बसंत पंचमी के दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती के पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. बसंत पंचमी के दिन पूजा करने के दौरान पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके साथ ही मां सरस्वती की पूजा के दौरान उन्हें पीले फूल अर्पित किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र धारण करना और पूजा में पीली चीजों का इस्तेमाल करना काफी शुभ होता है.
पीले रंग का खास महत्व
पीले रंग को हिंदू धर्म में बेहद शुभ माना जाता है. पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का प्रतीक होता है. इसके साथ ही पीला रंग सादगी और निर्मलता को भी दर्शाता है. ऐसी मान्यता है कि पीला रंग मां सरस्वती को बेहद प्रिय है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भी भोग लगाया जाता है. इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं. उगने वाले सूरज की पीली किरणों के कारण क्षितिज तक पीला रंग फैल जाता है. साथ ही खेतों में सरसों के पीले फूल खिल जाते हैं. प्रकृति का यह पीलापन चेतना की ओर लौटने का संकेत होता है. परिवर्तन के रंग में रंगी धरती इसी दौरान बसंत पंचमी का त्योहार मनाती है.