जैविक खाद के इस्तेमाल से खेती में 30% तक की बचत, इस आसान तरीका से करें तैयार

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पिछले कुछ वर्षों में वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुए की खाद की डिमांड में इजाफा दर्ज किया जा रहा है. ऐसे में किसान बिना किसी अतिरिक्त लागत के वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. अगर आपके घर में जानवर हैं तो आप गोबर को वर्मी कंपोस्ट खाद में बदलकर आमदनी में इजाफा कर सकते हैं. वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए आपको कहीं प्लाट या जमीन लेने की जरूरत नहीं है. किसान चाहें तो अपने घर के आसपास की खाली जमीन पर वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम शुरू कर सकते हैं.

वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में किसानों को बेहद कम लागत आएगी. इसके लिए एक सीमेंटेड बेड बनाने की जरूरत होगी. इसके अलावा केचुएं खरीदने पड़ सकते हैं बाकी कोई ज्यादा खर्च नहीं आएगा. बेड में ठंडा गोबर या किचन वेस्ट को डाल दें और उसमे केंचुआ डाल दें. एक महीने मे केंचुआ गोबर को खा कर वर्मी कंपोस्ट में तब्दील कर देगा. इस खाद को किसान अपने खेती में इस्तेमाल कर सकते है. इसका फायदा यह होगा कि किसानो को कम लागत आएगी और उपज भी बढ़िया होगा तथा उनका स्वास्थ्य भी बढ़िया रहेगा. ज्यादा उत्पादन होने पर इसे 6-8 रुपये प्रति किलो बेचा भी जा सकता है. इसका इस्तेमाल खेती के अलावा बागवानी, सब्जियों की खेती और नर्सरी में भी किया जाता है.

जानें इस किसान का एक्सपीरियंस

बिहार के गया जिले में एक किसान पिछले 15 साल से वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहा है. घर के पास खाली जमीन में 7 वर्मी बेड बनवाया है और उसी में जैविक खाद का उत्पादन कर रहे हैं. मानपुर प्रखंड के खंजाहांपुर गांव के रहने वाले किसान इंद्रदेव विद्रोही इसका उत्पादन कर अपने खेती में इसका प्रयोग कर रहे हैं. साथ में इसकी बिक्री भी करते हैं. एक साल में जैविक खाद से इन्हें 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी भी हो जाती है. इतना ही नहीं, इंद्रदेव विद्रोही अपने आस-पास के किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित भी करते हैं.

घर से निकलने वाले कचरा और गोबर से बनाएं जैविक खाद

न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए किसान इंद्रदेव विद्रोही बताते हैं कि वो जैविक खाद का उत्पादन वर्ष 2008 से कर रहे हैं. वो इसका इस्तेमाल अपने खेतों में करते हैं. इससे इनके फसल की ऊपज भी बढ़ जाती है. लागत दूसरे किसानों की तुलना में 30 प्रतिशत कम लगती है. इसका फायदा यह होता है कि यह पूरी तरह रसायन मुक्त है. इंसान तथा जानवरों को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती. यह बताते हैं कि अन्य किसान इसका उत्पादन बेहद कम लागत में कर सकते हैं. घर से निकलने वाले कचरा और गोबर से जैविक खाद बनाकर अपने खेतों में इस्तेमाल कर सकते हैं.

 

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