पटना: बिहार पुलिस का ऐसा जाबांज आईपीएस ऑफिसर जिसकी तारीफ़ आमजन और पुलिस विभाग ही नहीं बल्कि नक्सलियों के हार्डकोर सदस्य भी किया करते थे. 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी रविन्द्र कुमार जो एडीजी (मुख्यालय) डीजी निगरानी, सेंट्रल रेंज डीआईजी, पटना के एसएसपी समेत कई पदों पर रहकर अपनी सेवा से अमिट छाप छोड़ते हुए बिहार पुलिस के सबसे बड़े पद डीजीपी के पद के प्रबल दवेदार होने के बावजूद बगैर डीजीपी बने बुधवार को पुलिस की सेवा से अलविदा हो गये.
पटना के बीएमपी 5 में विदाई सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. बीएमपी के जवानों ने परेड कर उन्हें सलामी दी. इस मौके पर बिहार पुलिस के डीजीपी कृष्ण स्वरूप द्विवेदी समेत पुलिस के तमाम आलाधिकारी मौजूद थे. बिहार में जब नक्सली गतिविधियां चरम पर थी और आम जनता की कौन कहे पुलिस ऑफिसर भारी फ़ोर्स के लाव लश्कर के साथ भी नक्सलियों से टकराने से घबराते थे. वैसे कठिन समय में नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें मात देने वाले बिहार होमगार्ड के डीजी रविन्द्र कुमार बुधवार को सेवानिवृत हो गए.
अपने विदाई समारोह में रविन्द्र कुमार भावुक हो उठे. अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए डीजी रविन्द्र कुमार ने कहा कि पुलिस का कार्य लोगों की सेवा करना करना होता है. उन्होनें कहा कि पुलिस सेवा में आने से पहले केवल एक बार ही बिहार आए थे. मैंने पूरी निष्ठा, लगन और ईमानदारी से सेवा करने का भरपूर प्रयास किया और लोगों का विश्वास जीतने में सफलता रहा.
गौरतलब है कि रिटायरमेंट के पहले रविन्द्र कुमार को बिहार का डीजीपी बनाने की भी चर्चा थी. हालांकि लंबा कार्यकाल शेष नहीं होने की वजह से उन्हें डीजीपी पद नहीं मिला. क्योंकि सरकार चाहती थी कि कोई भी अधिकारी कम से कम दो वर्षो तक इस पद पर रहे.
स्पीडी ट्रायल चलाकर, सुशासन का दिया पहचान
सत्ता परिवर्तन हुआ, मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने गद्दी संभाली. अपराध को कैसे रोका जाए और अपराधियों पर लगाम कैसे लगाया जाए. यह विषय सरकार के मिसन में शामिल था. एडीजी के रूप में रविन्द्र कुमार बनाएं गये. अपराधियों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल कराने की रणनीति बनी. एडीजी रविन्द्र कुमार के सक्रियता और गंभीरता का परिणाम यह हुआ की महिने-दो महिने के अंदर, आर्म्स एक्ट के मामले में अपराधियों की सजा होने लगी. चुकी आर्म्स एक्ट के मामले में पुलिसकर्मी गवाह होते थे और समय पर पुलिसकर्मियों की गवाही हुई.
आईपीएस रविन्द्र कुमार के ईमानदारी और कार्य के सीएम नीतीश भी कायल थे. रविन्द्र कुमार को निगरानी विभाग का एडीजी और फिर प्रमोशन के बाद डीजी बनने तक भ्रष्टाचार का खात्मा करने के लिए जिम्मेदारी दी गयी थी. रवीन्द्र कुमार ने निगरानी विभाग को ऐसा धार दिया कि भ्रष्टाचारियों में खौफ हो गया.
Source: Live Cities News