Patna: 32 साल पुराने अपहरण के मामले में जाप सुप्रीमो सह पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को एडीजे सह विशेष अदालत निशिकांत ठाकुर ने साक्ष्य के अभाव में रिहा करने के आदेश सुनाया है। पप्पू यादव की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मनोज कुमार अम्बष्ठ ने बताया कि उक्त मामला गलतफहमी में दर्ज कर लिया गया था। वादी ने न्यायालय में उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज करवाया व न्यायालय में कहा था कि मेरा कोई अपहरण ही नहीं हुआ था।
इसके उपरांत अभियोजन ने आरोप के समर्थन में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया था। कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया है। मालूम हो कि जाप सुप्रीमों पप्पु यादव को 32 साल पुराने अपहरण के एक मामले में 11 मई को पटना से गिरफ्तार किया गया था। बीते 30 सितंबर को बहस के बाद सोमवार को अंतिम फैसले के लिए निर्धारित किया गया था।
पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को छह महीने में सुनवाई कर खत्म करने को कहा था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि सभी पक्षों की गवाही हो चुकी है। पिछली बार पप्पू यादव ने अपने इस केस में गवाही दे दी थी। साथ ही दोनों पक्षों ने कोर्ट में सुलहनामा भी दाखिल कर दिया है। इससे पहले बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन के मामले में कोर्ट ने 19 जुलाई को पप्पू यादव को जमानत दे दी थी।
पूर्व सांसद पप्पू यादव अपहरण के 32 साल पुराने एक मामले में जेल में बंद थे। पप्पू यादव पर 1989 के दौरान शैलेंद्र यादव ने मुरलीगंज थाना में राम कुमार यादव व उमाशंकर यादव के अपहरण किए जाने का मामला दर्ज करवाया था। इस मामले में पटना पुलिस ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर मधेपुरा पुलिस को सौंपा था। वहीं, पटना में कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर भी पप्पू यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।