संकल्प ऐसा कि 55 साल से पूर्णिया के डगरूआ प्रखंड के तमोट चांदभाठी गांव के रहने वाले 85 वर्षीय रूपलाल ठाकुर ने चावल से बने किसी भी तरह का व्यंजन ग्रहण नहीं किया है। उनके इस संकल्प की चर्चा इलाके में खूब होती है। परिवार वालों के द्वारा भी उन्हें चावल से बने सामग्री को खाने के लिए कई तरह की तरकीब और आरजू मन्नत भी की गई। लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं मानी।
हालांकि उन्हें ऐसे संकल्प लेने के बाद कई परेशानियों से भी जूझना पड़ा। कई दिनों तक आटा से बने सामग्री नहीं मिलने की वजह से उन्हें भूखे भी रहना पड़ा। स्वरूप लाल ठाकुर बताते हैं कि जब वह युवा था तो वर्ष 1967 में तात्कालीन पूर्णिया जिला के कटिहार अनुमंडल के नियोजनालय में कटिहार रेल मंडल में इंजन क्लीनर के लिए बहाली निकली थी। वह गांव के ही अपने आधे दर्जन दोस्तों के साथ इंजीनियर की इंटरव्यू देने के लिए लाइन में लगे हुए थे।
इसी बीच उन्हें जोर-जोर से खांसी होने लगी थी। इस मामले को लेकर आगे पीछे लाइन में लगे लड़के और पुलिस वाले हल्ला करने लगे। जब वह लाइन से बाहर नहीं निकले तो पुलिस वाले ने उनकी पिटाई कर दी और लाइन से बाहर कर वहां से भगा दिया। उन्होंने बताया कि उस वक्त चावल की सामग्री अधिक हुआ करती थी। उनका परिवार उस वक्त काफी गरीबी से गुजर रहा था।
इस वजह से वह कई दिनों तक चावल की सामग्री खाकर इंटरव्यू के लिए गए थे। उन्हें पिछले कई दिनों से खांसी भी हो रही थी। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू के बाद उनके कई दोस्तों का सेलेक्शन भी हो गया था। इसके बाद वो काफी रोए और उसी समय संकल्प ले लिया था कि वह जीवन में कभी भी चावल से बनी सामग्री नहीं खायेंगे। उन्होंने बताया कि जब वह घर आए थे तो उन्हें इस बात के लिए काफी डांट भी पड़ी थी, उन्होंने दो दिनों तक वह घर में खाना भी नहीं खाया था। लेकिन अब उनकी आदत बन गई है।
रूपलाल बताते हैं कि वह कच्चा रसगुल्ला समेत कई अन्य तरह की मिठाई भी नहीं खाते हैं। क्योंकि उनमें चावल से बना चोरथ की सामग्री डाली जाती है। इस वजह से वह ऐसे मिठाई खाने से भी परहेज करते हैं। उनकी पत्नी फागुनी देवी बताती है कि कई बार रिश्तेदारों के यहां जाने के बाद फजीहत का भी सामना करना पड़ा है। उनके पति चावल से बनी सामग्री नहीं खाते हैं। स्वरूप लाल ठाकुर के इस संकल्प को पूरा करने में परिवार भी अब महती भूमिका भी निभा रहा है। आसपास के लोग उनके इस संकल्प की प्रशंसा करते हैं।
संकल्प से सभी कार्य होते सिद्ध
मनोवैज्ञानिक साक्षी झा कहती हैं कि मन में लिए गए संकल्प की शक्ति की बदौलत कोई भी व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी बड़े से बड़े काम को कर सकता है। इसके लिए मन में संकल्प उठाने की जरूरत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में भोज वगैरह होते तो लोग उन्हें पहले ही चावल से बनी सामग्री नहीं देते हैं। जन वितरण प्रणाली के दुकानदार जो उनके क्षेत्र का नहीं है। उनके द्वारा भी उन्हें गेहूं समय पर मुहैया करवा कर दे दिया जाता है।
स्वस्थ रहने के लिए चावल कम
चिकित्सक डॉ. मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए अधिक चावल से बने सामग्री का उपयोग नहीं करना चाहिए। यही वजह है कि बिहार के दक्षिण इलाके के लोग ज्यादा हृष्ट-पुष्ट और मजबूत होते हैं। क्योंकि उन लोगों के द्वारा चावल का सेवन कम किया जाता है। चावल का सेवन कम करने से कई तरह की बीमारियां भी नहीं पकड़ती है। ऐसे लोगों को कब्जियत एवं मूत्र विसर्जन करने की बीमारी भी जल्दी नहीं पकड़ती है।