Anti Tank Guided Missile
कई साल से भारतीय सेना को Anti Tank Guided Missile (ATGM) की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। लड़ाई के दौरान इसके जरिए Tanks को तबाह किया जाता है। अब Army को इस मोर्चे पर बड़ी राहत मिल सकती है। भारत में ATGM तैयार करने के लिए प्राइवेट सेक्टर का पहला प्लांट खुला है। यह कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड और Israel की राफेल अडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स का joint venture होगा, जिसे कल्याणी राफेल अडवांस्ड सिस्टम (KRSS) का नाम दिया गया है।
Hydrabad में गुरुवार को इस बाबत स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी का उद्घाटन किया गया। joint venture के तहत राफेल की हवा से जमीन में मार करने वाले Missile की भी मैन्युफैक्चरिंग की जाएगी। दोनों कंपनियों के टॉप अधिकारियों ने बताया कि वे SPICE मिसाइलों की सप्लाई के लिए इंडियन एयर फोर्स से बातचीत कर रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि joint venture जरूरत पड़ने पर भारतीय सेना को आयरन डोम और डेविड स्लिंग जैसे हाई-टेक एयर डिफेंस सिस्टम भी मुहैया कराएगा।
यह joint venture फरवरी 2015 में बनाया गया था लेकिन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट अब खुला है। इसका खुलना इस लिहाज से अहम है कि यह इस महीने के शुरू में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के Israel दौरे के बाद हुआ है। प्लांट के उद्घाटन के मौके पर इस्राइली राजदूत डैनियल कारमॉन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि joint defence development प्रधानमंत्री के इस्राइली दौरे का नतीजा है।
इस joint venture पर काम Indian army की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। Army अपनी infantry गाड़ियों के लिए सेकेंड जेनरेशन Anti Tank Guided Missile का इस्तेमाल कर रही है। इनमें बीएमपी, फगोट, मिलान आदि शामिल हैं। फगोट ATGM को हटाया जा चुका है और भारत में मिलान का प्रॉडक्शन भी रोक दिया गया है। इसका मतलब यह है कि सैनिकों के पास सिर्फ मिलान ATGM और कोंकुर बचे हुए हैं। इस बीच, सेना थर्ड जेनरेशन ATGM हासिल करने की तैयारी में है।
कल्याणी ग्रुप के चेयरमैन बाबा कल्याणी के मुताबिक, सेना के लिए ATGM हासिल करने की खातिर रिक्वेस्ट फॉर इन्फॉर्मेशन (आरएफआई) और रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) 2010 से ही दिया जा रहा है। सेना का ऑर्डर 8,000 ATGM के लिए है जिसकी लागत 1 अरब डॉलर होगी। राफेल ने फोर्थ जेनरेशन स्पाइस ATGM की पेशकश की थी लेकिन डिफेंस मिनिस्ट्री ने इस खरीद को स्थगित कर दिया।
दरअसल, इसे सिंगल वेंडर के जरिए बनाया जाना था जिसे भारत की डिफेंस प्रक्योरमेंट पॉलिसी के तहत प्रोत्साहित किया जाता है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का यह भी कहना था कि ATGM को लेकर जो कॉस्ट बताई गई है वह काफी ज्यादा है और इसे कम करने की कोशिश की जा रही है। सरकार विदेशी फर्मों के साथ joint venture स्थापित करने के लिए प्राइवेट फर्मों को प्रोत्साहित कर रही है ताकि कम कीमत पर सैन्य उपकरण प्राप्त किए जा सके।