इसे कहते हैं अनुभव… रिटायर्ड बुजुर्ग ने शुरू की पपीता और केले की खेती, अब इस तरह हो रहा 10 लाख का मुनाफा

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आमतौर पर उम्र बढ़ने के बाद लोग अपने सभी कामों से रिटायर होकर आराम करना चाहते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो रिटायर होने के बाद भी कुछ न कुछ करते रहना चाहते हैं. कुछ ऐसी ही ललक सीतामढ़ी के एक बुजुर्ग शख्स के मन में आया और उनकी इसी ललक ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद मालामाल कर दिया है.

एक तरफ जहां मौसम की मार किसानों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है तो वहीं सीतामढ़ी जिला के बराही गांव के रहने वाले 63 वर्षीय चन्द्रभुषण प्रसाद मत्स्य पदाधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद केला और पपीता की खेती कर अच्छी पैदावार के जरिए कमाल कर दिखाया. रिटायरमेंट के बाद चन्द्रभुषण प्रसाद ने केला और पपीता की खेती शुरु की. हालांकि शुरुआत में दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब पपीता और केला से सालाना लगभग 10 लाख की कमाई कर ले रहे हैं.

3.5 एकड़ में कर रहे हैं केला और पपीता की खेती
चन्द्रभुषण प्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय में 2.5 एकड़ में केला और 1 एकड़ में रेड लेडी वैरायटी के पपीता की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि खुद का खेत नहीं है. जिस खेत में केला और पपीता की खेती कर रहे हैं वह आदित्य चन्द्र झा का है और वे पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं. सपरिवार कनाडा में रहते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिनों तक एग्रीकल्चर विभाग में भी काम करने का मौका मिला था. इसके बाद मत्स्य अधिकारी के पद से रिटायर हुए. इसलिए खेती करने का तरीका मालूम था और अपनी देखरेख में हीं केला और पपीता की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2.5 एकड़ जमीन में जी-9 वैरायटी का केला की खेती कर रहे है. इसके अलावा भी केले की 10 वैरायटी मौजूद है. जिसमें मालभोग, अल्पान, बरहरी, सिंगापुरी, चिनिया इत्यादि शामिल है. इसके आलावा रेड लेडी नामक पपीते की भी खेती कर रहे हैं. वहीं इस बार 8 कट्ठे शिमला मिर्च की भी खेती किया था. जिससे 80 हजार की कमाई हुई.

सालाना 10 लाख से अधिक की हो जाती है कमाई
चन्द्रभुषण प्रसाद ने बताया कि कुल 2700 केले के पेड़ लगाए हैं. जिसमें 200 से 250 केले का घउर की बिक्री 300 रुपए के हिसाब से की है. इससे 70 से 75 हजार की कमाई हुई है. हालांकि सभी पेड़ में फल लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष सिर्फ केले की खेती से 7 से 8 लाख तक की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि केले की फसल को वे कैश क्रॉप के रुप में देखते हैं, जो बेहद ही कम समय में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा देता है. केला का पौधा 10 महीने बाद से हीं फल देना चालू कर देता है. जबकि पपीता का मर्केट वेल्यू 35 से 40 रुपए प्रति किलो है. उन्होंने बताया कि पपीता से प्रतिवर्ष लगभग 3 लाख तक की कमाई हो जाती है. अभी तक पपीता की खेती से 70 से 80 हजार तक की कमाई हो चुकी है जबकी 75% से अधिक फल अभी पेड़ में लगा हुआ है. इसका मार्केट वेल्यू 2 से 2.5 लाख रुपए तक की है. वहीं पांच लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है.

 

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