इस टीचर ने पढ़ाई को बनाया मजेदार, प्रैक्टिकल कर समझाते हैं संस्कृत, एक भी क्लास मिस नहीं करते बच्चे

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किसी ने बड़ा ही खूब लिखा है कि गणित के सवालों को आपने सुलझाया, भूगोल में अटके तो अपने राह दिखाई, विज्ञान का ज्ञान भी आपने समझाया, कहीं भी अटके तो अपने राह दिखाई. हम बात कर रहे हैं कि भागलपुर के जलाल उच्च विद्यालय में पदस्थापित हसन अंसारी की, जो विद्यालय में संस्कृत पढ़ाते हैं. उनके पढ़ाने के ढंग के कायल भागलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी भी हैं. इनके पढ़ाने का अंदाज ही कुछ ऐसा है कि बच्चे क्लास में अनुपस्थित हो ही नहीं पाते.

प्रैक्टिकल कर पढ़ाते हैं संस्कृत
शिक्षक हसन अंसारी ने कहा कि अगर हम कहें कि संस्कृत में प्रैक्टिकल कर पढ़ाते हैं तो, यह आपको थोड़ा सा अटपटा लगेगा. मेरे संस्कृत पढ़ाने का अंदाज अलग है. पूरी तरीके से प्रैक्टिकल कर बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं. बच्चे भी क्लास में खूब मजे से इसको पढ़ते हैं. लोकल 18 विद्यालय पहुंचातो हसन सर की क्लास चल रही थी. बच्चे भी मजे से संस्कृत की पढ़ाई कर रहे थे. लेकिन पढ़ाने के अंदाज को देख हम भी चौंक गए. एक बच्चा हाथ में ग्लास लेकर पानी पीने की एक्टिंग कर रहा था. इसको देख हैरानी सी हुई, लेकिन वह पढ़ाने का एक पाठ था. इसको लेकर जब हसन अंसारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हम पूरी तरीके से प्रैक्टिकल के माध्यम से संस्कृत को बताते हैं. जिससे बच्चों को संस्कृत समझने में कठिनाई नहीं होती है

पढ़ाने के तरीके को देख अचंभित हुई सभी
दरअसल बच्चों को संस्कृत थोड़ा कठिन विषय लगता है. खास कर बच्चे आठवीं कक्षा तक इसको पढ़ने से बचते हैं. लेकिन हसन अंसारी ने इस चीज को बदला और बच्चे किस तरीके से असानी से समझे इसको अपनाया. बच्चे भी पढ़ने में खूब आनन्द लेते हैं. छात्रा सोनम कुमारी ने बताया कि पहले हम लोग संस्कृत नहीं पढ़ते थे. लेकिन धीरे धीरे जब पढ़ाने के तरीके को बदला तो आसानी से कोई भी चीज समझ लेते हैं.

दूसरे बच्चों ने बताया कि इस तरीके से संस्कृत आसानी से समझ आ जाती है. स्कूल के प्रभारी प्राचार्य सदाकत हुसैन ने बताया कि हम भी जब यहां पर आए थे तो इनके पढ़ाने के तरीके को देख अचंभित हो गए थे. यही कारण है कि हमारे विद्यालय की उपस्थिति भी शत प्रतिशत रहती है. बच्चे एक भी क्लास मिस नहीं करते हैं.

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