जिला के सोनमा गांव के रहने वाले किसान जगरनाथ सिंह और उनके पुत्र राजा कुमार मिलकर 1.5 एकड़ में परवल की खेती कर रहे है. राजा कुमार ने बताया कि जब बाजार में सब्जी खरीदा करते थे तो यह देखा कि अन्य सब्जी के मुकाबले परवल की कीमत अधिक है. तब मन में ख्याल आया कि जब परवल की कीमत इतनी रहती है तो इसको उपजाने वाले कितना कमाते होंगे. इसके बाद उन्होनें सोशल मीडिया पर परवल की खेती से सम्बंधित जानकारी लेकर शुरुआत की और प्रतिदिन एक क्विंटल का उत्पादन हो रहा है.
राजा ने बताया कि फिलहाल डेढ़ एकड़ में परवल की खेती और 5 कट्ठे में बैगन की खेती कर रहे है. लेकिन परवल में होने वाले उत्पादन को देखकर अब इसकी खेती को और अधिक विस्तार देने वाले है. वहीं, जगरनाथ सिंह ने बताया कि परवल की लत्ती भी दो तरह की होती है. जिसमें एक नर और दूसरा मादा होती है. 5 कट्ठा की जमीन में कम से कम दोनों किनारों पर दो नर वाली नस्ल होनी चाहिए, जिससे उपज ज्यादा होगी.
अगर सिर्फ मादा है तो उत्पादन उतना नहीं हो सकता है. उन्होंने बताया कि फल सिर्फ मादा वाली पेड़ ही देता है. उदहारण के लिए उन्होंने बताया कि किसानों की शिकायत रहती है कि फल नहीं आ रहा है, हो सकता है नर वाला पौधा ही लगाया हो. जानकारी के आभाव में असफल हो जाते हैं.
रोजाना तीन हजार से अधिक कमाई
राजा ने बताया कि 1.5 एकड़ में परवल की खेती कर रहे हैं. खेत से रोजाना एक क्विंटल परवल निकल रहा है. जिसकी कीमत वर्तमान समय में प्रति किलो 30 से 32 रुपए के हिसाब से है. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन तीन हजार से अधिक की कमाई हो जाती है. राजा कुमार बताया कि परवल एक ऐसी फसल है जो प्रतिदिन कुछ न कुछ आमदनी देती है. यानि पॉकेट खाली नहीं रहती है, लेकिन परंपरागत खेती में पूरे सीजन का इंतजार करना पड़ता है.