इस आश्रम में तैयार होती है जैविक खाद, बाजार से आधी कीमत पर खरीद कर ले जाते हैं किसान

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आरा में एक ऐसा आश्रम है जहां पूजा-पाठ और योग के साथ-साथ गोबर से बने ठोस और तरल खाद का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. यही कारण है कि यह आश्रम अब जैविक खाद उत्पादन की वजह से चर्चा में है. दरअसल, आरा के संदेश प्रखंड के कोसिहान गांव मेंस्वामी सत्यानंद सरस्वती योग आश्रम है.इस आश्रम में निर्मित जैविक खाद को जिले के बड़े-बड़े खाद विक्रेता, किसान और नर्सरी वाले खरीद रहे हैं. हर महीना लगभग 20 टन ठोस और एक हजार लीटर तरल खाद का उत्पादन किया जा रहा है.

आश्रम का खर्च चलाने के लिए शुरू किया था जैविक खाद बनाना

स्वामी सत्यानंद सरस्वती योग आश्रम के महाराज स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती बताते हैं कि आश्रम चलाने के लिए पैसों की जरूरत थी. क्योंकि यहां शिष्य, सेवक और सेविका हैं. गाय और सांड हैं. इनके आश्रय पर काफी खर्च आता था. ऐसे में हमलोगों नेआश्रम की खेतों में जैविक खेती करना शुरू किया. हर तरह की फसल, सब्जी, फल उगाई जाने लगी. इन सभी फसलों के लिए जैविक खाद बनाना शुरू किया गया.

गांव से भी डिमांड आने लगी तो उत्पादन बढ़ाया गया. आश्रम के महाराज ने बताया कि अब डिमांड बहुत ज्यादा होने लगी है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी हमारे जैविक खाद की सराहना की है. उनलोगों ने भी हमें उत्पादन बढ़ाने को कहा गया. इसके बाद अब हमलोग अब हर महीने 20 टन ठोस और एक हजार लीटर तरल खाद बना रहे हैं, जिसे हम अमृतपौधा कहते हैं.

यह है कंपोस्ट बनाने की प्राक्रिया

गोबर में 30 प्रतिशत पानी और डिकॉम्पसर डाला जाता है. फिर उसे एक गड्ढे में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. जब गोबर सड़ जाता है, तब उसे मशीन के माध्यम से ठोस कर मिट्टी की तरह कर दिया जाता है. फिर एक जगह रख कर ढंक दिया जाता है.

वहीं से बोरी में पैक कर डिमांड के अनुसार बाजार तक भेजा जाता है या रिटेलर खुद आकर ले जाते हैं. जैविक खाद बाजार मूल्य से बिल्कुल ही कम कीमत पर उपलब्ध कराया जा रहा है. जहां बाजार में 30 से 40 रुपया किलो जैविक खाद मिल रहा है, तो आश्रम से सिर्फ 12 रुपया प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है. यहां का बना वर्मी कंपोस्ट आरा के साथ-साथ बक्सर और रोहतास तक जाता है.

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