बिहार में भी आईपीएल मैच के आयोजन कराएं जाएंगे। इसके लिए राजगीर में 634 करोड़ की लागत से इंटरनेशनल स्तर का स्टेडियम बनाया जाएगा।
बिहारवासी अब अपने घर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का क्रिकेट देखने का लुत्फ उठा सकेंगे। बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में एक क्रिकेट का international level stadium बनाया जाएगा। बिहार कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है।
बिहार के राजगीर में सरकार छह अरब की लागत से international level stadium बनाने का फैसला लिया है। राज्य खेल अकादमी और क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण का कार्य 2019-20 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है इसके लिए राजगीर में 90 एकड भूमि चिन्हित की जा चुकी है।
इसके लिए विस्तृत परियोजना तैयार करने के लिए भवन निर्माण विभाग द्वारा मुख्य परामर्शी के रूप में नई दिल्ली के मेसर्स आर क्रॉप– एसोसियेट प्रा. लि. का चयन किया गया है। इसके लिए तैयार किए गए समेकित प्राकलन के मुताबिक राज्य मंत्रिपरिषद ने 6 अरब 33 करोड रूपये की आज प्रशासनिक मंजूरी दे दी।
इससे पहले राजधानी पटना में एकमात्र मोइनुलहक क्रिकेट स्टेडियम था जिसकी हालत काफी जर्जर है। वैसे इस स्टेडियम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट मैच आयोजित हो चुके हैं।
बिहार में इंटरनेशनल लेवल का स्टेडियम नहीं होने के कारण से बिहार के लोग इंटरनेशनल मैच से वंचित रह जाते थे। अब नया स्टेडियम पटना से एक सौ किमी. दूर बौद्ध धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल राजगीर में बनाया जाएगा।
राजगीर:
पांच पहाड़ियों से घिरा राजगीर आज उम्मीदों के नए पहाड़ पर खड़ा है। पहले यहां सरस्वती नदी भी बहती थी। बिहार में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्राचीन पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों की लंबी श्रृंखला है।
हरे-भरे घने जंगलों, प्राकृतिक दृश्यों और पांच पहाड़ियों के बीच बसा राजगीर भारत का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। राजगीर न सिर्फ एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि एक खुबसूरत हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। देव नगरी राजगीर सभी धर्मो की संगमस्थली है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ विविध संस्कृतियां देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
इतिहास
बिहार राज्य के नालंदा जिले में राजगीर शहर है। इस शहर का इतिहास सदियों पुराना है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती था जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। राजगीर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केंद्र, जैन तीर्थकर महावीर और भगवान बुद्ध की साधनाभूमि रहा है। इसका जिक्र ऋग्वेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय पुराण, वायु पुराण, महाभारत, बाल्मीकि रामायण आदि में आता है। जैनग्रंथ विविध तीर्थकल्प के अनुसार राजगीर जरासंध, श्रेणिक, बिम्बसार, कनिक आदि प्रसिद्ध शासकों का निवास स्थान था। जरासंध ने यहीं श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका जाने को विवश किया था।
धार्मिक स्थल
पटना से लगभग 107 किमी और नालंदा से 19 किमी दूर राजगीर हिन्दू, जैन और बौद्ध तीनों धर्मो के धार्मिक स्थल हैं। खासकर बौद्ध धर्म से इसका बहुत प्राचीन संबंध है। बुद्ध न सिर्फ कई वर्षो तक यहां ठहरे थे, बल्कि कई महत्वपूर्ण उपदेश भी राजगीर की धरती पर दिए थे। बुद्ध के उपदेशों को यहीं लिपिबद्ध किया गया गया था और पहली बौद्ध संगीति भी यहीं हुई थी। राजगीर शांति और सौहार्द का स्तंभ है जो आज भी प्राचीनकाल के अवशेष से भरा पड़ा है। भगवान महावीर ने अपना प्रथम प्रवचन राजगीर के विपुलागिरि नामक स्थान पर प्रारंभ किया था।
राजगीर की पहाड़ी
राजगीर पांच चट्टानी पहाड़ियों से घिरा है। जिसका जिक्र महाभारत और रामायण में भी मिलता है। राजगीर की पहाडि़यां विश्व में प्रसिद्ध है। राजगीर की पांच पहाड़ियों का नाम विपुलगिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि, स्वर्णगिरि और वैभारगिरि हैं। पहाड़ों की प्राकृतिक सौंदर्य और हरे-भरे जंगलों के मनोरम दृश्यों को देखने पर्यटक देश-विदेश से आते हैं।
पर्यटक स्थल
गृद्धकूट पर्वत- भगवान महात्मा बुद्ध गृद्धकूट पर्वत पर बैठकर लोगों को कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए थे। जापान के बुद्ध संघ ने इसकी चोटी पर एक विशाल शांति स्तूप का निर्माण करवाया है जो आजकल पर्यटकों के आकर्षण का मूख्य केंद्र है। स्तूप के चारों कोणों पर बुद्ध की चार प्रतिमाएं स्थपित हैं। विशाल शांति स्तूप को शांति शिवालय भी कहा जाता है।
वेणुवन-बांसों के वन में बसे वेणु विहार को उस समय के राजा बिम्बसार ने भगवान बुद्ध के रहने के लिए बनवाया था। विणु विहार बहुत ही खूबसूरत जगह है।
गर्म जल के झरने-वैभव पर्वत की सीढि़यों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने (सप्तधाराएं) हैं जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। इन झरनों के पानी में कई चिकित्सकीय गुण होने के प्रमाण मिले हैं। पुरुषों और महिलाओं के नहाने के लिए 22 कुंड बनाए गए हैं। इनमें ब्रह्मकुंड का पानी सबसे गर्म (45 डिग्री से.) होता है।
स्वर्ण भंडार-यह स्थान प्राचीन काल में जरासंध का सोने का खजाना था। कहा जाता है कि अब भी इस पर्वत की गुफा के अंदर बहुत सोना छुपा है और पत्थर के दरवाजे पर उसे खोलने का रहस्य भी किसी गुप्त भाषा में खुदा हुआ है।
जैन मंदिर-पहाड़ों के बीच बने 26 जैन मंदिरों को दूर से देखा जा सकता है। क्योंकि वहां पहुंचने का रास्ता अत्यंत दुर्गम है। जैन धर्म के महावीर संस्थापक भी मंदिरों में कई बार आते थे।
महोत्सव
राजगीर महोत्सव-हर साल तीन या चार दिन के लिए राजगीर महोत्सव का आयोजन होता है। इस महोत्सव में मगध के इतिहास की झलक कलाकार गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। जिसको देश-विदेश से हजारों पर्यटक देखने आते हैं।
मलमास मेला-तीन वर्षो में एक बार आने वाला मलमास के दौरान राजगीर में विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, लेकिन हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे मलमास या अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। पुराण के अनुसार यह मास अपवित्र माना गया है और इस अवधि में मूर्ति पूजा, यज्ञदान, व्रत, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित है, लेकिन इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि इस मलमास अवधि में सभी देवी देवता यहां आकर वास करते हैं। राजगीर के मुख्य ब्रह्मकुंड के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसे ब्रह्माजी ने प्रकट किया था और मलमास में इस कुंड में स्थान का विशेष फल है।
कैसे पहुंचें-
राजगीर जाने के लिए सड़क, रेल और हवाई यातायात की सुविधा है। सड़क परिवहन द्वारा राजगीर जाने के लिए पटना, गया, दिल्ली से बस सेवा उपलब्ध है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम पटना से राजगीर के लिए टूरिस्ट बस एवं टैक्सी सेवा भी उपलब्ध करवाता है। वायुमार्ग से पहुंचने के लिए निकटतम हवाई-अड्डा पटना है जो 107 किमी की दूरी पर है। रेल मार्ग के लिए पटना एवं दिल्ली से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है।