इस ब्रह्मांड में तीन सबसे बड़े अस्त्र माने गए हैं। जिनमें पहला पाशुपतास्त्र, दूसरा नारायणास्त्र एवं तीसरा ब्रह्मास्त्र है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव के पास त्रिशूल के अलावा चार शूलों वाला परम शक्तिशाली दिव्य अस्त्र है, जिसे पाशुपतास्त्र कहते हैं।
महाभारत के युद्ध में विजय की कामना करते हुए अर्जुन ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके इस पाशुपतास्त्र को प्राप्त किया था।

भगवान शिव ने इसे अर्जुन को देते हुए कहा था कि इसे तुम्हें चलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसे पास रखने मात्र से ही तुम्हारी विजय हो जाएगी और यदि तुमने इसे गलती से चला दिया तो संसार में प्रलय आ जा जाएगा।
रूद्राभिषेक करने से पूरी होती है हर मनोकामना
आज के समय शिव के इस दिव्य अस्त्र को प्राप्त करना तो कठिन कार्य है, लेकिन कोई भी साधक शिव पूजन व रूद्राभिषेक एवं पाशुपत्याष्टक कर भगवान शिव को प्रसन्न करके विजय पा सकता है।
विश्वविजेता बनाने के लिए मोतिहारी में रूद्राभिषेक
क्रिकेट में भारतीय टीम के विश्व विजेता बनाने के लिए चकिया प्रखंड के परसौनी खेम स्थित महर्षि गौतम ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र चंपारण काशी द्वारा संचालित वैदिक गुरुकुलम् परिसर में बटुकों द्वारा शनिवार को रूद्राभिषेक आचार्य अभिषेक कुमार दुबे व आचार्य आशुतोष कुमार द्विवेदी के सानिध्य में किया गया।
आचार्य दुबे ने बताया ज्योतिषीय गणना द्वारा इस वर्ष क्रिकेट का विश्व विजेता भारत होने वाला है, जिसके लिए नवरात्र से ही प्रत्येक पूजन के संकल्प में विश्व विजयी का जप, पाठ, पूजन इत्यादि अलग-अलग जगहों पर ब्राह्मणों द्वारा किया जा रहा है।