बिहार के हुकुमदेव नारायण यादव बन सकते हैं देश के अगले उपराष्ट्रपति

एक बिहारी सब पर भारी खबरें बिहार की राजनीति

बिहारवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ सकती है। खबर ये है की मधुबनी से भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव भारत के अगले उपराष्ट्रपति बनाये जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो संसद में समस्याओं को रखने व जवाब देने में चुटीले अंदाज का इस्तेमाल करने वाले हुकुमदेव बिहार से आने वाले देश के पहले उपराष्ट्रपति होंगे।

इस साल जुलाई में वर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। शूत्रों के मुताबिक हुकुमदेव नारायण यादव नरेंद्र मोदी की पहली पसंद हैं और भाजपा में उनके नाम की सहमति भी लगभग तय मानी जा रही है।

बिहार के दरभंगा सदर प्रखंड के बिजली गांव में 16 नवंबर 1939 को जन्मे हुकुमदेव नारायण यादव ने दरभंगा के चंद्रधारी मिथिला कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है। जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे हुकुमदेव नारायण यादव मधुबनी लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। 1960 में ग्राम पंचायत के मुखिया चुने गए और तभी से उनकी राजनितिक सफर की शुरुआत हुई और फिर 1967 में पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 1977 में पहली बार सांसद बने। वर्ष 1993 में भाजपा में शामिल हो गए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे।

माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटरों को गोलबंद करने के बाद भाजपा देश भर में ओबीसी मतदाताओं को एक नया संदेश देने के लिए हुकुमदेव को, जो ओबीसी कैटेगरी से आते हैं, ये पद देना चाहती है। ऐसा करने से बिहार में लालू-नीतीश के जातीय समीकरण के भी ध्वस्त होने की सम्भावना है।

बिहार में हुई हार से सबक लेते हुए भाजपा ने बड़ी रणनीति के के साथ यूपी में उतरी थी और भारी बहुमत से अपनी जीत दर्ज कराई। इस जीत को आगे भी कायम रखने के लिए अब 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। देश भर के ओबीसी वोटरों का ध्रुवीकरण करने के साथ बिहार में फिर से लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से जीतने और 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भी अभी से तैयारी कर रही है।

विपक्ष पर अपने खास अंदाज में वार करने वाले हुकुमदेव नारायण यादव की छवि जमीन से जुड़े नेता की है और बिहार में लालू प्रसाद यादव की काट साबित हो सकते हैं। लालू चुनावी सभाओं या संसद में जिस अंदाज में अपनी बात रखते रहे हैं, हुकुमदेव का भी अंदाज़ वैसा ही रहा है।

जिसके बूते लालू व नीतीश की महागठबंधन 2015 का विधानसभा चुनाव जीती थी, उस जातीय समीकरण को ध्वस्त करने के उद्देश्य से भाजपा हुकुमदेव को बड़ा पद दे रही है। उनके नाम पर दूर-दराज के गांवों के वोटर का भाजपा के साथ आ जाना तय है।

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