Patna: नीरज चोपड़ा की जीत पर किसान पिता सतीश चोपड़ा भावुक हो गए। बोले कि बेटा खरा सोना है। जमा तौड़ पाड़ दिया। देश ने उम्मीद लगाई थी, 100 फीसद खरा उतरा। नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा ने कहा कि बेटा योद्धा है। जब-जब संकट और चोट से घिरा है, तब-तब उठा खड़ा हुआ। पहले से बेहतर प्रदर्शन कर जीतता रहा है।
मीडिया से बातचीत में सतीश चोपड़ा ने कहा, आत्मविश्वास से भरे बेटे ने सोना जीता है। जैसे स्टार क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर टेनिस एल्बो की चोट से जूझे थे, वैसे ही 3 मई 2019 को बेटे नीरज की दायीं कोहनी का आपरेशन हुआ था। इसके बाद हाथ कमजोर हो गया था। नौ महीने अभ्यास से दूर रहा। तब बेटे को चिंता हो गई थी कि पहले की तरह भाला फेंक पाएगा या नहीं।
मनोस्थिति देख उन्होंने बेटे को काल कर कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। चोट ठीक होने में चाहे एक साल लग जाए, आराम करो। पूरे परिवार व देश को विश्वास है कि स्वस्थ हो जाओगे तो देश के लिए पदक भी जीत लेंगे। इससे बेटा का मनोबल बढ़ा। बेटे ने धीरे-धीरे डाक्टरों की निगरानी में अभ्यास किया। हाथ मजबूत हुआ। अब चोट को मात देकर बेटे ने देश के लिए पदक दिला दिया है।
सीनियर जैवलिन थ्रोअर नरेंद्र सहरावत ने बताया कि 2013 में पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में बास्केटबाल का मैच था। नीरज ने जोश में बास्केट में गेंद डाली और रिंग पर लटक गया। हाथ फिसलने से रिंग से नीचे गिरा और दायीं कलई में फ्रेक्चर हो गया। तीन प्लास्टर बदले गए। चार महीने तक जैवलिन के अभ्यास के दूर रहे। नीरज में गजब की इच्छा शक्ति है। स्वस्थ होते ही नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत लिया।
देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर और 2015 से इंडिया कैंप में नीरज के साथ रह रहे जींद के सच्चा खेड़ा गांव के राजेंद्र नैन ने बताया कि नीरज की खूबी है कि वह बड़े मुकाबलों में दबाव में नहीं रहते हैं। अपना 100 फीसद देते हैं। इसी खूबी की वजह से वह जीत भी हासिल करते हैं। आज भी नीरज पहले ही थ्रो से आत्मविश्वास से भरे थे। शांत थे। उन्हें पता चल चुका था कि पदक पक्का हो गया है।