सिंघम या दबंग नहीं, असली हीरो तो गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए छत देने वाला यह आईपीएस अफसर है

प्रेरणादायक

दिल खुश कर देगी जी.एस.मलिक की ये कहानी।
अपनी परेशानियों को खत्म करने के लिए तो हर कोई संघर्ष करता है, लेकिन लाखों में एक होते हैं वो लोग जो दूसरों के लिए आवाज उठाते हैं। आज हम ऐसे ही शख्स की बात करेंगे, जिन्होंने अपने दम पर 326 बच्चों की जिंदगी बदल दी।

 

वड़ोदरा के आईपीएस अफसर जी.एस. मलिक ने एक कमरे के स्कूल को 3 मंजिला इमारत में बदलवा दिया। ऐसा करने के लिए वो राज्य सरकार से लेकर तत्कालीन प्रधान सचिव तक के पास जाने से नहीं कतराए। मलिक की कहानी जानने के बाद हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा और मन से एक ही आवाज निकलेगी कि ‘काश…देश का हर आईपीएस अफसर मलिक की तरह बन जाए।’

वड़ोदरा के कवि दयाराम प्राथमिक स्कूल की कहानी

गुजरात के वड़ोदरा शहर में कवि दयाराम प्राथमिक शाला नाम का स्कूल मौजूद है। एक समय था जब ये स्कूल केवल एक ही कमरे में सीमित था। यहां पहली से लेकर सातवीं तक के बच्चों को एक ही कमरे में पढ़ाया जाता था।

दो शिफ्ट में लगाया जाता था स्कूल
इस स्कूल में कुल 326 बच्चे पढ़ते थे, लेकिन एक ही कमरा होने की वजह से उन्हें दो अलग-अलग शिफ्ट में पढ़ाया जाता था। इतना ही नहीं, यहां पर लड़के-लड़कियों के लिए एक ही बाथरूम उपलब्ध था, वो भी टूटा-फूटा।

एक ही कमरे में पढ़ते थे चार क्लास के बच्चे
650 वर्गफीट के कमरे में चार कोने पर चार अलग-अलग क्लास के बच्चों को बैठा दिया जाता था और इस तरह चौथी, पांचवी, छठी और सातवीं के बच्चों को एक ही कमरे में पढ़ाया जाता था। इसकी वजह से स्टूडेंट्स को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

अतिथि बनकर गए थे स्कूल
2010 में मलिक को कन्या केलावाणी और शाला प्रवेशोत्सोव के दौरान अतिथि के तौर पर स्कूल में आमंत्रित किया गया था। उन दिनों मलिक वड़ोदरा के जॉइंट पुलिस कमिश्नर थे। मलिक जब स्कूल पहुंचे तो उसकी हालत देखकर हक्के-बक्के रह गए और इसकी रंगत बदलने की ठान ली।

सरकार तक पहुंचाई समस्या
मलिक ने बच्चों की समस्या का जिक्र राज्य सरकार से लेकर उस समय के प्रधान सचिव हसमुख अधिया तक हर किसी से किया। उनकी बदौलत सभी का ध्यान इस समस्या की ओर गया और स्कूल के लिए तीन मंजिला इमारत बनाने का बजट पास कर दिया गया। साथ ही स्कूल की इमारत बनवाने के लिए भारतीय सेवा समाज ने थोड़ी जमीन भी दान की।

आज बन गया तीन मंजिला स्कूल
एक कमरे का वो स्कूल आज तीन मंजिल का हो चुका है। अब स्कूल में बच्चों के लिए 13 क्लास रूम मौजूद हैं। साथ ही लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग टॉयलेट भी बनाए गए हैं। अब बच्चों को बारिश में छत से पानी टपकने की चिंता नहीं होती। न ही एकसाथ पढ़ने की परेशानी झेलनी पड़ती है।

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