कहते है वो ज़िंदगी भी क्या ज़िंदगी है जो सिर्फ खुद के लिए जिया जायें! महान लोग कहा करते है खुद के पेट का भरण-पोषण तो जानवर भी कर लेते है इंसान तो वो है जो दूसरों के बारे में भी सोचे और दूसरों के दुःख में उसकी मदद करें।
गरीबों का पैसों के अभाव में इलाज ना करवा पाने के कारण उनको दम तोड़ता देख दिल पसीज उठता था “नवनीत सिंह जी “ का। गरीबो के लिए हमेशा कुछ करने की इच्छा की पूर्ति तब हुई जब उनकी धर्मपत्नी पल्लवी सिंह ने भी उनके इस काम में उनका योगदान दिया। गरीबों के लिए कुछ करने की इच्छा के कारण ही उनके द्वारा “माता परम शीला सेवा सदन” की स्थापना की गई।
इस संस्थान के तहत ही इन लोगों ने बहुत से सामाजिक कार्यों को पूरा किया। जिसके अंतर्गत संस्थान की तरफ से ऐसे कैंसर पीड़ित का इलाज इन्होंने अपने खर्चे पर करवाया। जिसके लिए इन्होंने ने कैंसर पीड़ित मरीज़ को महावीर कैंसर संस्थान तक में ईलाज़ करवाया गया लेकिन दुर्भाग्यवश उनको बचाया नहीं जा सका। लेकिन कहते है तूफानों से लड़ने वाले कभी हवा बहने पर पीछे नहीं हटते। कैंसर पीड़ित के द्वारा दिया गया आशीर्वाद ने नवनीत सिंह और पल्लवी सिंह को वो सारी खुशियाँ दे दी जिसको लोग पैसों से नहीं खरीद सकते है इसलिए इस घटना के बाद उन्होंने इस संस्थान को दुगुने जोश के साथ फिर से शुरू किया।
